धर्मशाला, राजीव जस्वाल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद धर्मशाला इकाई द्वारा बलिदान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता डॉ संदीप कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के जीवन पर प्रकाश डाला एवं उनके भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान एवं वर्तमान भारत की चुनौतियों विषय पर अपने विचार रखें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को कौन नहीं जानता है। उन्हीं की याद में 23 मार्च को शहीदी दिवस मनाया जाता है। साल 1931 में इसी दिन तीनों वीर सपूतों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी।
लाहौर षड्यंत्र के आरोप में उन्हें फांसी दी गई। अप्रैल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी। इसके बाद करीब दो साल उन्हें जेल में रखा गया। बाद में भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा सुनाई गई।दरअसल, इनको फांसी दिए जाने की खबर से देशभर में लोग भड़के हुए थे। वो उन्हें देखना चाहते थे। फांसी को लेकर विरोध प्रदर्शन भी चल रहे थे। अंग्रेज सरकार इसी बात से डर गई थी। उन्हें लगा कि माहौल बिगड़ सकता है, इसलिए उन्होंने फांसी का दिन और समय बदल दिया गया।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को एक दिन पहले ही फांसी दे दी गई और हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल नहीं मिली है अपितु हजारों क्रांतिकारियों के देश पर प्राण निछावर करने के कारण मिली है। इसलिए हमें अपने क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस मौके पर इकाई अध्यक्ष हेमंत ठाकुर इकाई सचिव सुनील प्रांत सह मंत्री बलवीर सोशल मीडिया प्रमुख सीताराम दिवांश, विजय, शबनम ,सुषमा ,अनिता चंदन आदि कार्यकर्ता शामिल रहे।