दिल्ली- नवीन गुलेरिया
हरियाणा की राजनीति में पंजाब चुनाव में मिली आम आदमी पार्टी की विशाल जीत के बाद उठापटक शुरू हो गई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद हरियाणा के बड़े-बड़े नेताओं के ईमान हिचकोले खाने लगे हैं।
आम आदमी पार्टी के हरियाणा में बड़ी सियासी ताकत बनने की संभावना को भांपकर हरियाणा के पूर्व मंत्री बलबीर सैनी (पेहवा)ने बीजेपी को छोड़कर, पूर्व मंत्री बिजेंद्र बिल्लू (पानीपत ग्रामीण) कांग्रेस को छोड़कर, पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल (गुरुग्राम) बीजेपी को छोड़कर और पूर्व विधायक रविंद्र मच्छरौली (समालखा) ने बीजेपी को छोड़कर आप पार्टी में शामिल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि तीन दर्जन से अधिक नेता ने आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए अपना जुगाड़ तंत्र सक्रिय कर दिया है। इन हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि हरियाणा की सियासत बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है।
मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा पुत्र मोह में 13 मार्च की रात 12 बजे केजरीवाल के निवास पर पहुंचे थे। पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने और 30 सीटों पर उम्मीदवार लड़ाने की शर्त पर वो आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए शर्त रखी है। उस मीटिंग में संजय सिंह भी मौजूद थे।
हरियाणा के प्रभारी सुशील गुप्ता से भूपेंद्र हुड्डा का छत्तीस का आंकड़ा है, जिसकी वजह से हुड्डा ने उन्हें बाईपास करके सीधे केजरीवाल से मुलाकात की है। भूपेंद्र हुड्डा की तरफ से दिए गए इस ऑफर को केजरीवाल ने जरा भी समय ना लगाते हुए सिरे से खारिज कर दिया।
केजरीवाल ने कहा कि पार्टी में शामिल होने पर स्वागत है, लेकिन कोई शर्त मान्य नहीं होगी। सीएम फेस, टिकटों का निर्धारण व उम्मीदवार समय और जरूरत के हिसाब से तय होंगे। सूचना तो यह भी है कि हुड्डा परिवार ने 3 दिन पहले ही टीम दीपेंद्र को यह हिदायत दे दी थी कि आम आदमी पार्टी के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ भी अनर्गल नहीं लिखना है।
पिता-पुत्र को अलग पार्टी बनाने से ज्यादा आसान रास्ता आम आदमी पार्टी में शामिल होना लग रहा है। क्या पिता-पुत्र कॉंग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होना स्वीकार करेंगे या फिर कांग्रेस के खात्मे का इतंजार पार्टी के भीतर रहकर ही करेंगे या फिर कांग्रेस के भीतर रहकर सुनहरे भविष्य की उम्मीद लगाए बैठे रहेंगे।