शिमला-जसपाल ठाकुर
राज्य के दो सरकारी विभागों शिक्षा और पीडब्ल्यूडी में 13000 मल्टी टास्क वर्करों की भर्ती पर फैसला अब कैबिनेट में होगा। दोनों विभाग अलग-अलग अगली कैबिनेट में इस बारे में पॉलिसी को ले जाएंगे। शिक्षा विभाग में पॉलिसी में संशोधन हो रहा है, जबकि लोक निर्माण विभाग के लिए पॉलिसी ही पहली बार बन रही है। दोनों विभागों के लिए यह पद पिछले बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने दिए थे और अब चुनावी वर्ष में यह भर्तियां होनी हैं।
चुनावी साल होने के कारण इन भर्तियों की राह भी उतनी आसान नहीं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पॉलिसी में यदि कोई कमी रह गई तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। शिक्षा विभाग में 8000 मल्टी टास्क वर्कर अंशकालीन जलवाहकों की जगह रखे जा रहे हैं और इस बारे में पहले बनाई गई नीति के रूल 18 को सरकार को वापस लेना पड़ा था। कोर्ट में बहुत सारे केस जाने के बाद सरकार ने खुद ही मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार वाले इस क्लॉज़ को हटा दिया था। पॉलिसी में भर्ती का दूसरा तरीका एसडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी का है।
सरकार ने हाईकोर्ट में ही कहा है कि रूल 18 के प्रावधान रूल सात में ही जोड़ा जाएगा। इसलिए पॉलिसी में संशोधन की जरूरत है। दो रोज पहले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मंडी में कहा था कि मल्टीटास्क वर्कर की भर्ती जल्दी शुरू हो जाएगी। इसके लिए सभी पक्षों से चर्चा अभी चल रही है और अब कैबिनेट में ही यह संशोधन होगा। दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग में मामला कुछ और तरह का है।
यहां मल्टी टास्क वर्कर 5000 रखे जाने हैंए लेकिन पॉलिसी अभी तक बनी नहीं है। इस ड्राफ्ट पर कार्मिक विभाग और वित्त विभाग से राय ले ली गई थीए लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर कुछ सुझाव कैबिनेट ने पहले दे रखे हैंए जिनको इसमें शामिल किया जाना है। वित्त विभाग ने इन भर्तियों को जल शक्ति की पैरा वर्कर पालिसी के तहत करने का सुझाव दिया था।
हालांकि पीडब्ल्यूडी इस पर कितना सहमत हैए यह पॉलिसी जब सामने आएगीए तब पता चलेगा। लोक निर्माण विभाग में लेबर की बेहद कमी है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने पिछले बजट भाषण में 5000 पद इस विभाग को दिए थे। यह बात अलग है कि विभाग पूरा साल बीत जाने के बाद भी यह भर्तियां नहीं कर पाया।