माजरा में स्थित निजी स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा चक्की दरिया माजरा में श्रीराम गोपाल मंदिर की उपजाऊ भूमि पर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। यहां एक तरफ खनन माफिया ने जेसीबी तथा पोकलेन मशीनें लगाकर बड़े बड़े गड्ढे खोद रखे हैं।
पठानकोट, भुपिंद्र सिंह राजू
माजरा में स्थित निजी स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा चक्की दरिया माजरा में श्रीराम गोपाल मंदिर की उपजाऊ भूमि पर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। यहां एक तरफ खनन माफिया ने जेसीबी तथा पोकलेन मशीनें लगाकर बड़े बड़े गड्ढे खोद रखे हैं।
वहीं दूसरी तरफ इस अवैध खनन से चक्की दरिया की गहराई इतनी बढ़ गई है की रेलवे पुल का अस्तित्व खतरे में नजर आता दिख रहा है। इसी चक्की दरिया के साथ गुजरती सिविल एयरपोर्ट को जाती सड़क भी हर बार बरसात के मौसम में इन स्टोन क्रशरों के अवैध खनन में बह रही है।
किंतु प्रशासन अभी भी कुंभकरण की नींद सोया हुआ है। बरसात शुरू होने पर माजरा गांव के लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखनी शुरू हो गई हैं। भले ही प्रशासन कहता है कि लीज पर दी गई भूमि पर ही खनन हो रहा है। लेकिन लोगों का कहना है कि सरकारी दस्तावेजों में लीज पर ली गई भूमि पर खनन माफिया कभी कभार ही खनन किया जाता है।
माफिया द्वारा श्रीराम गोपाल मंदिर की डमटाल की भूमि पर ही अवैध खनन किया जा रहा है। खनन विभाग का यह भी कहना है कि जेसीबी और बड़ी बड़ी फोकलेन मशीनों से खनन करने पर पूरी तरह से पाबंदी है। मगर जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
इन बड़ी बड़ी पोकलेन मशीनों द्वारा खनन माफिया सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाकर विभाग और प्रशासन से बेखौफ होकर चक्की दरिया व श्रीराम गोपाल मंदिर डमटाल की हजारों कनाल भूमि पर धड़ल्ले से रात के अंधेरे में खनन कर मोटी चांदी कूट रहे हैं।
खनन माफिया ने देखते ही देखते हजारों कनाल मंदिर की उपजाऊ भूमि को तबाह कर दिया है। सबसे हैरानी का विषय यह है कि इन खनन माफिया ने हर गली चौराहे पर अपने मुखबिर रात को बिठा रखे हैं।
भले ही अवैध खनन के मामले में एक तरफ सरकार व प्रशासन जागरूक हैं। वहीं खनन माफिया इनसे दस कदम आगे ही दिखाई देता है क्योंकि खनन माफिया से जुड़े हुए लोगों ने अपने मुखबिर हर गली चौराहे पर खड़े किए होते हैं।
जैसे ही कोई विभागीय अथवा पुलिस की गाड़ी मुख्य मार्ग से निकलती है तो खनन माफिया द्वारा रखे गए मुखबिर अपने आकाओं को इस की जानकारी दे देते हैं। पुलिस व प्रशासन से पहुंचने से पहले ही खनन माफिया रफूचक्कर हो जाते हैं