व्यूरो रिपोर्ट
राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में पंचायती राज संगठनों के चुनाव को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई है। ऐसे में 24 जून को वर्तमान पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा, जिसके बाद फिर वहां कैसे व्यवस्था चलेगी, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
प्रदेश में पहली बार इस तरह की दिक्कत सामने आई है कि सरकार को पंचायतों का कामकाज चलाने के लिए कमेटियों का गठन करना पड़ सकता है। वर्तमान में जो पंचायत पदाधिकारी हैं, उनकी कमेटी बनाकर यहां पर काम चलाया जाएगा।
सरकार के पास केवल कमेटियां गठित करने का विकल्प ही बचा है, जिस पर पंचायती राज विभाग को फैसला लेना है। अगर ऐसा हुआ तो, प्रदेश में पहली बार किसी पंचायत का कार्य चुने हुए प्रतिनधियों के स्थान पर कमेटियां देखेंगी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते प्रदेश सरकार फिलहाल कोई भी चुनाव करवाने के मूड में नहीं है।
इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल पूरा होने के बाद नए आयुक्त की नियुक्ति भी नहीं की जा सकी है। पंचायती राज चुनाव कब करवाने हैं, इसकी तिथियां तय करने की शक्ति राज्य निर्वाचन आयुक्त के पास ही होती है।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से प्रदेश सरकार को जनजातीय क्षेत्रों में चुनावों को लेकर भेजे गए पत्र का भी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। पत्र में आयोग ने पूछा है कि क्या सरकार चुनाव करवाने को तैयार है या अभी नहीं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने चंबा और लाहुल-स्पीति जिला प्रशासन को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या वे चुनाव करवाने को तैयार हैं, जिस पर उन्होंने भी इनकार किया था। तब कोरोना के हालात बेकाबू थे, जिसके बाद सरकार को भी लिखा गया था, लेकिन जिस पर कोई जवाब वहां से नहीं आया है।