हिमखबर डेस्क
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग में अब तक हुई भर्तियों का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शिक्षा विभाग में अब तक 7000 से अधिक पदों पर नियमित भर्तियां की जा चुकी हैं। ये नियुक्तियां कॉलेज कैडर के प्रिंसिपल से लेकर जेबीटी शिक्षकों तक विभिन्न स्तरों पर हुई हैं।
सचिवालय में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक 100 से अधिक कॉलेज कैडर के प्रिंसिपल्स को पदोन्नत किया गया है, जबकि लगभग सात से आठ वर्षों बाद पहली बार कॉलेज कैडर के करीब 20 शिक्षकों की नियुक्ति आयोग के माध्यम से नियमित रूप से की गई हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग में 527 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पहले ही भरे जा चुके हैं, वहीं करीब 500 नए पदों पर भर्ती के लिए केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है। इन पदों को शीघ्र आयोग को भेजा जाएगा ताकि दूरदराज़ के कॉलेजों में स्टाफ की कमी पूरी हो सके और विद्यार्थियों को लाभ मिल सके।
उन्होंने बताया कि स्कूल कैडर में टीजीटी के लगभग 700 पद भरे गए हैं, जिनमें टीजीटी आट्र्स के 593 पद, टीजीटी नॉन-मेडिकल के 405, टीजीटी मेडिकल के 410, शास्त्री के 205, लैंग्वेज टीचर के 175, ड्राइंग मास्टर के 146, जेबीटी के 1835 और वोकेशनल टीचर के 1000 पद शामिल हैं।
इसके अलावा 3101 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है, जबकि चयन आयोग ने टीजीटी की तीनों श्रेणियों के 937 नए पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि एनटीटी शिक्षकों और आया के लगभग 13,000 पद आउटसोर्स माध्यम से भरने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से लैस आधुनिक शिक्षक तैयार करने पर भी फोकस कर रही है। इसी उद्देश्य से बेंचवाइज भर्ती वाले शिक्षकों के लिए इंडक्शन ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि साल 2022 के अंत तक प्रदेश में बिना शिक्षकों वाले स्कूलों की संख्या 350 थी, जो अब घटकर 100 से भी कम रह गई है।
वहीं सिंगल-टीचर स्कूलों की संख्या 3600 से घटकर 2000 के करीब पहुंच गई है। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली बार सरकारी स्कूलों के मेधावी छात्र विदेशों तक पहुंचे हैं, जो हिमाचल के लिए बड़ी उपलब्धि है। साथ ही स्कूल एडॉप्शन स्कीम से प्रदेश के स्कूलों में उल्लेखनीय विकास देखने को मिला है।
आपदा राहत के मुद्दे पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी प्रदेश को करीब 5500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता राशि जल्द जारी की जाए क्योंकि देर से मिलने वाली राशि का कोई कोई लाभ नहीं होता।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आपदा के समय विपक्ष केवल राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहा है। पिछली बार भी केंद्र से सहायता में देरी हुई थी और वर्तमान में भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। पंचायती राज चुनाव स्थगन पर उन्होंने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह प्रशासनिक कारणों से लिया गया है, इसमें भागने वाली कोई बात नहीं है। कोविड के बाद उत्तराखंड में भी पंचायती राज चुनाव एक वर्ष बाद कराए गए थे।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व जयराम ठाकुर सरकार के कार्यकाल में भी नगर निगम चुनाव स्थगित हुए थे जो अप्रैल 2022 में होने थे, लेकिन उन्हें कांग्रेस कार्यकाल में 2023 में करवाया गया था। जैसे ही आपदा और बर्फबारी से सडक़ों की स्थिति सुधरेगी, हिमाचल में भी पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।