पाठ्यक्रम में शहीदों की गाथाएँ होंगी शामिल, कक्षा 6 से 12वीं तक होगा पाठ्यक्रम में बदलाव, समसामयिक मुद्दों को भी किया जाएगा शामिल।
शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश के वीर सपूतों की शौर्य गाथाओं को अब विद्यार्थी जान सकेंगे। जनरल जोरावर सिंह, वजीर राम सिंह पठानिया, डाॅ. वाईएस परमार जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाएगा। देश की सरहदों की रक्षा करते अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सोमनाथ शर्मा और कैप्टन सौरभ कालिया जैसे शहीदों की वीरगाथाओं से बच्चों में देशभक्ति का जज्बा जगाया जाएगा।
राज्य सरकार सरकार कक्षा-6 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव करने जा रही है। मंगलवार को राज्य सचिवालय में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में स्कूली पाठ्यक्रम में संशोधन को लेकर उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हुई। रोहित ठाकुर ने कहा कि पाठ्यक्रम में हिमाचल के समृद्ध इतिहास, साहित्य, संस्कृति और कला को शामिल करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने के निर्देश दिए, जिसमें राज्य के प्राचीन मंदिर, मठ, किले, ऐतिहासिक स्थल, पारंपरिक वास्तुकला, बोलियां, लोक कलाएं, हस्तशिल्प, मेले, त्योहार और ऐतिहासिक आंदोलनों को शामिल किया जा सके।
उन्होंने हिमाचल के संदर्भों को शामिल कर छठी से बारहवीं कक्षा तक की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को प्रासंगिक बनाने को कहा ताकि बच्चों में प्रदेश के प्रति गर्व और अपनेपन की भावना विकसित की जा सके।
उन्होंने जनरल ज़ोरावर सिंह, वज़ीर राम सिंह पठानिया, डॉ. वाईएस परमार जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सोमनाथ शर्मा और कैप्टन सौरभ कालिया जैसे शहीदों की वीरगाथाओं से बच्चों में देशभक्ति का जज्बा जगाने पर बल दिया।
छात्रों का राज्य के साथ जुड़ाव होगा
इस तरह के समावेश से छात्रों का राज्य के साथ जुड़ाव मज़बूत होगा और इससे प्रतियोगी परीक्षाओं विद्यार्थियों को सहायता मिलेगी। शिक्षा मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और सतत विकास जैसे समसामयिक मुद्दों को भी पाठ्यक्रमों शामिल किया जाए। आपदा प्रबंधन से जुड़ी शिक्षा व्यावहारिक और गतिविधि-आधारित होनी चाहिए, ताकि बच्चे वास्तविक जीवन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें।
रटा नहीं रुचिकर तरीके से पढ़ाएं बच्चों को
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पाठ्यक्रम को बढ़ाने के बजाय उसे रूचिकर बनाया जाए ताकि बच्चों का ज्ञानवर्धन किया जा सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को सार्थक ज्ञान दिया जाए और रटने के बजाय रूचिकर तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाए। उन्होंने स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर भी बल दिया।
रोहित ठाकुर ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को निर्देश दिया कि वह अपनी वेबसाइट और पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के उपलब्ध शिक्षण सामग्री तक आसान पहुंच के लिए क्यूआर कोड और डिजिटल लिंक के साथ प्रदान करे।
बैठक के दौरान संशोधित पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया। अधिसूचना के पश्चात यह समिति हिमाचल के संदर्भ में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा तथा आवश्यक संशोधन करेगी। समिति समग्र व स्थानीय रूप से प्रासंगिक शिक्षा के लिए पूरक सामग्री तैयार करेगी।
विद्यार्थियों को सीखने बेहतर अवसर
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने आपदा प्रबंधन, हरित ऊर्जा और कौशल विकास जैसे आधुनिक विषयों के साथ हिमाचल की विरासत को एकीकृत किया है, जिससे विद्यार्थियों को सीखने के बेहतर अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा, एसएसए के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा, स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
क्या है नियम
स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। नियमों के तहत 80 प्रतिशत हिस्से को अनिवार्य रखते हुए राज्य 20 प्रतिशत तक का बदलाव इसमें कर सकते हैं। राज्य अपनी इतिहास, संस्कृति, लोक रीति-रिवाजों, सड़क सुरक्षा, नशा मुक्ति और सामान्य ज्ञान जैसे विषयों को जोड़कर पाठ्यक्रम को अधिक प्रासंगिक बना सकते हैं।