एमसी धर्मशाला का पैसा हड़प गई सफाई कंपनी, जाली साइन और मुहर से निकाली सिक्योरिटी राशि, ब्याज सहित 20.13 लाख रुपए खाते से गायब
धर्मशाला नगर निगम में सिक्योरिटी राशि से जुड़े एक बड़े धोखाधड़ी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें दिल्ली की एक फर्म पर करोड़ों रुपए निकालने का आरोप लगा है।
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने एमसीडी की शिकायत के आधार पर दिल्ली की कूड़ा कचरा उठाने का कार्य करने वाली एक फर्म के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है।
नगर निगम ने दिल्ली की इस कंपनी को धर्मशाला के 10 वार्डों में घर-घर कचरा संग्रहण का ठेका दिया था। अनुबंध के तहत, फर्म से 16.38 लाख रुपए की सुरक्षा जमा राशि (एफडीआर) के रूप में ली गई थी।
यह एफडीआर फर्म और नगर निगम आयुक्त के नाम पर संयुक्त रूप से थी। ठेका मिलने के कुछ महीनों बाद, फर्म ने अपना काम ठीक से नहीं किया।
एमसीडी द्वारा कई कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बावजूद, फर्म ने 14 अक्तूबर, 2021 को बिना किसी पूर्व सूचना के काम छोड़ दिया।
इसके बाद एमसीडी ने सफाई का ठेका किसी अन्य एजेंसी को सौंप दिया। ठेके की शर्तों के उल्लंघन के बाद, नगर निगम ने फर्म की एफडीआर जमा राशि जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की।
हालांकि, इस वर्ष दो जुलाई को नई दिल्ली के बैंक के एमसीडी को सूचित किया कि उक्त एफडीआर दस मई, 2024 को पहले ही बंद हो चुका है और परिपक्वता राशि 20,13,745 रुपए (ब्याज सहित) एक पक्ष द्वारा निकाल ली गई है।
एसएसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री के बोल
एसएसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि धर्मशाला थाने की स्थानीय पुलिस ने नगर निगम की शिकायत और उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
धोखाधड़ी से नगर निगम को वित्तीय नुकसान
एफडीआर प्रति की जांच करने पर यह पाया गया कि नगर निगम आयुक्त के हस्ताक्षर कथित रूप से जाली थे। इसके अलावा, एफडीआर पर दिखाई देने वाली मुहर/आधिकारिक मुहर भी नकली पाई गई, जिसका उद्देश्य सरकारी धन की चोरी, जालसाजी, धोखाधड़ी और गबन करना था। इस धोखाधड़ी से नगर निगम को बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ है, और पुलिस अब इस मामले की तह तक जाने का प्रयास कर रही है।