भू माफिया ने पौंग झील में गेंहूं की अबैध फसल कटाई के बाद लगा डाली आग, कई जीव जंतु जले, तपिश से लोगों का जीना हुआ बेहाल

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भू माफिया ने पौंगझील में गेंहूं की अबैध फसल कटाई के बाद अब लगा डाली आग, कई जीव जंतु जले। झील के साथ लगते लोगों का तपिश से जीना हुआ बेहाल

नगरोटा सुरियाँ – निशा ठाकुर

पौंग झील की खाली भूमि पर अवैध फसल बिजाई के बाद भू माफिया अब झील के किनारे कंबाइन द्वारा काटी गई गेंहू के अवशेष को आग लगाकर उस भूमि की अगले वर्ष फिर से बिजाई की तैयारी में जुट गया है।

सूत्रों के अनुसार करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाकर बेखौफ भू माफिया अब जीव जंतुओं को झील के किनारे आग लगाकर जला रहा है। झील के साथ रहने बाले स्थानीय पक्षियों के अंडे भी चपेट में आने की संभावना जताई जा रही है। झील के साथ रहने वाले लोगों को आग लगने के कारण भीषण लू का सामना करना पड़ रहा है।

हैरानी की बात है की इस क्षेत्र को रामसर वेटलैंड, वाइल्डलाइफ सेंचुरी एरिया और इको सेंसेटिव जोन इस क्षेत्र को घोषित किया गया है। लेकिन तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भू माफिया बेखौफ होकर ऐसे काम को अंजाम दे रहा है। हर वर्ष यहां पर हजारों की तादाद में दूर देशों से साइबेरियन पक्षी यहां पर आते हैं।

साथ ही झील के किनारे का यह खाली क्षेत्र पांच विधानसभा क्षेत्र के साथ लगते बेसहारा पशुओं के लिए भी चारागाह का काम देता है। लेकिन आग लगने के बाद पशुओं का चारा भी जलकर राख हो गया है।

पर्यावरण विद् मिलखी राम शर्मा, उजागर सिंह और कुलवंत ठाकुर ने इस बिजाई के खिलाफ माननीय हाई कोर्ट और अब इस मामले को हरित न्यायाधिकरण में मामला दायर किया है। उनका कहना है कि पहले तो अवैध तरीके ट्रैक्टरों के साथ पोंग डैम में फसल बिजाई की गई। और इस बारे में शिकायत वन्य प्राणी विभाग से कई बार की गई लेकिन विभाग कुंभ करनी नींद सोया रहा।

यही नहीं उसके बाद फसल किनारे धागे लगाए गए, जो बेसहारा पशु यहां पर घास चरते थे उनको भी बांध दिया गया, इसके बाद कीटनाशक दवाइयां, खाद फसल में डाली गई और फिर बाद में कंबाइन से फसल की कटाई दिन के उजाले में की गई। हर बार शिकायत करने के बावजूद कारबाई के नाम पर केवल मात्र कारवाई का दिखावा ही किया गया।
अब आग लगाने से झील के साथ सटे लोगों को गर्म लू से जूझना पड़ रहा है।

उन्होंने वन्य प्राणी विभाग से ऐसा काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और यहां पर फसल बिजाई को रोक लगाने की मांग दोहराई है। पर्यावरण विद् मिलखी राम शर्मा का कहना है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार, 2002 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2018 की वैटलैंड अधिसूचना में कहा गया है कि इस क्षेत्र में गैर वानिकी गतिविधि नहीं हो सकती।

बता दे कि यह कहां लगाई जा रही आग धमेटा, हरसर, जरोट, सुगनाडा, नगरोटा सूरियां, फतेहपुर, हरसर, सिद्धाथा आदि क्षेत्र में भू माफिया कंबाइन से बच्चे अवशेष को आग लगाकर जला रहे है।

डीएफओ रेजिगनॉल्ड रॉयस्टान के बोल

उधर वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ रेजिगनॉल्ड रॉयस्टान ने कहा की ऐसा काम करने वालों पर अधिकारियों को कारवाई के सख्त निर्देश दिए गए हैं। मामले की सूचना जिलाधीश कांगड़ा को दी गई है। अबैध फसल पर इस बार 3 से चार लाख जुर्माना भी किया गया है और दो लोगों के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज की गई है।

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