शिमला, 26 अप्रैल – नितिश पठानियां
कौन कहता है कि गांव की छोटी गलियों से सफलता का रास्ता तय नहीं किया जा सकता। यह कहानी है उस शख्स की, जिसका सारा जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल रहा है।
गोंदपुर नामक हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव के एक छोटे से परिवार का लड़का, जिसको न तो कभी मां की ममता नसीब हुई और न ही पिता का साया उसके सर पर था।
यह कहानी शुरू होती है तब, जब खेलने-कूदने की उम्र में ही मुसीबतों का पहाड़ उनके सिर पर टूट पड़ा था। सरदार केहर सिंह जी जिनको न तो किसी का सहारा था और न ही उनका कोई मार्गदर्शक था।
उन्होंने लोगों से मदद तो मांगी पर शायद जिंदगी से उनका यह संघर्ष अकेले ही था। बावजूद इसके उन्होंने हार न मानी।
इस बीच उन्हें उनकी मासी से कुछ मदद मिली तो उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की। वह देर रात जागकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ते और बहुत मेहनत करते।
उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, कुछ ही दिनों बाद सरदार केहर सिंह जी अमृतसर चले गए और वहां पर एक ढाबे में काम करने लगे। अपने पैसे बचाने के लिए वह गुरुद्वारे में लंगर खाया करते थे।
इस तरह धीरे-धीरे उन्होंने एक-एक पाई जोड़कर अपनी पढ़ाई पूरी की और बहुत जल्दी वह खादी बोर्ड के इंचार्ज बन गए। उन्होंने नूरपुर के साथ-साथ लगभग सारे हिमाचल में अपनी सेवाएं दी।
उनकी सकारात्मक सोच व साहस ने उन्हें बुलंदियों के शिखर तक पहुंचा दिया। सरदार केहर सिंह जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। 12 अप्रैल 2023 को उनका देहांत हो गया।
उनकी जिंदगी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि इंसान के पास चाहे कम संसाधन हो और वह कितना भी मुसीबतों से क्यों न घिरा हो, वह सफलता पा ही लेता है।