शिमला, 31 अक्तूबर – नितिश पठानियां
पूर्व कांग्रेसी दिग्गज दिवंगत जीएस बाली की कर्मभूमि नगरोटा बगवां में विरासत संभालने बेटा मैदान में है। इस दफा विधानसभा क्षेत्र से उनके पुत्र रघुवीर बाली कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के वर्तमान विधायक अरुण कुक्का (58) के खिलाफ मैदान में है।
धौलाधार की तलहटी में बसा नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है। ओबीसी बहुल वाली नगरोटा के राजनीतिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां अधिकतर इसी वर्ग के नुमाइंदों ने विधानसभा चुनाव जीता हैं। स्व. जीएस बाली इसका अपवाद हैं। दीगर है कि निर्वाचन क्षेत्र में ओबीसी की आबादी करीब 60 प्रतिशत है।
बाली ने ब्राह्मण होते हुए भी इस विधानसभा क्षेत्र में पहली बार 1998 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उसके बाद उन्होंने लगातार तीन मर्तबा वर्ष 2003, 2007 व 2012 में जीत का परचम लहराया। वर्ष 2017 में उन्हें भाजपा के अरुण कुमार से मामूली अंतर से अप्रत्याशित पराजय झेलनी पड़ी थी।
कौन कब-कब रहा विधायक…
विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर ओबीसी समुदाय के नुमाइंदों ने कांग्रेस व भाजपा अलग-अलग पार्टियों में रहकर यहां से जीत दर्ज की हैं। इस विधानसभा में कांग्रेस के हरदयाल चौधरी 1972, 1977 में कांग्रेस पार्टी के टिकट से जीते।
वर्ष 1993 में हरदयाल चौधरी निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे थे। वह प्रदेश सरकार में वन मंत्री भी रहे। वहीं, रामचंद भाटिया भी तीन दफा लगातार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते।
उनकी चुनौती को जीएस बाली ने 1998 में पहली बार तोड़ा। इससे पहले वो लगातार तीन दफा विधायक रहे। भाटिया 1982 में पहली बार विधायक बने। उसके बाद 1985 व 1990 में तीसरी बार भाजपा के टिकट पर लगातार चुनाव जीते।
बाली व हरदयाल चौधरी रहे हैं मंत्री…
हरदयाल चौधरी प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। वहीं, जीएस बाली भी तीन दफा प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। नगरोटा बगवां को हिमाचल में अलग पहचान दिलाने के लिए भी स्व. बाली को याद रखा जाएगा। कांग्रेस की सरकार में कांगड़ा के सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक रहे हैं।
आंकड़ों का खेल….
1998 में यहां कांग्रेस की टिकट पर पहली दफा चुनाव लड़ने वाले स्व. जीएस बाली ने तीन बार के लगातार विजेता भाजपा के रामचंद भाटिया को 1,224 वोटों से हराकर यहां कांग्रेस का परचम लहराया था। बाली को 44.3 प्रतिशत व भाटिया को 41.14 प्रतिशत मत मिले थे।
2003 के चुनाव में बाली की जीत का अंतराल बेहद ऊपर चला गया। उन्होंने 10,394 वोटों से रामचंद्र भाटिया को एकतरफा शिकस्त दी थी। बाली ने इस चुनाव में 57.65 प्रतिशत मत हासिल किए। वहीं भाटिया को 36.19 प्रतिशत मत मिले।
2007 में भाजपा ने यहां प्रत्याशी बदला। मगर बाली ने नए प्रत्याशी मंगल सिंह चौधरी को 5751 मतों से हराया। 2012 के चुनाव में बाली का तिलिस्म तो नहीं टूटा, मगर उनकी जीत का अंतराल कम हो गया। बाली को 23,626 मत मिले।
वहीं, नए उतरे युवा उम्मीदवार अरुण कुमार कुक्का को 20,883 मत मिले। बाली को इस चुनाव में 42.76, जबकि अरुण को 37.79 प्रतिशत मत हासिल हुए।
2017 में भाजपा के अरुण कुमार कुक्का ने बाली की लगातार चार जीत के सिलसिले को तोड़ते हुए उन्हें एक निकटतम मुकाबले में मात्र एक हजार मतों से हराकर बाली के नगरोटा में वर्षों से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त कर दिया।
रघुवीर व अरुण में सीधा मुकाबला....
प्रदेश की हाॅट सीट (Hot Seat) माने जाने वाली नगरोटा बगवां में इस बार कांग्रेस ने स्व. बाली के पुत्र रघुवीर बाली को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने फिर से अरुण पर दांव खेला है। अगर मेरिट व डिमेरिट की बात करें तो रघुवीर बाली के साथ उनके पिता की राजनीतिक विरासत, युवा होना, मधुर भाषी व निपुण राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एरिया में अच्छी पहचान उनका सबल पक्ष है। वहीं, जातिगत गणित उनके पक्ष में कम नजर आता है। वो अपने पिता की तरह आक्रामक नहीं हैं।
अरुण कुक्का ने पिछले पांच साल में नगरोटा में विकास कार्यों में काफी योगदान दिया है। बताया जाता है कि जयराम ठाकुर के कार्यकाल में कुक्का ने कांगड़ा जिला में नगरोटा बगवां को विकास के मामले में अव्वल दर्जे पर लाने में अहम भूमिका अदा की है। वहीं, सरकार व अरुण के प्रति एंटी इनकमबेंसी व रघुवीर बाली के प्रति सहानुभूति उनका कमजोर पक्ष माना जा रहा है।
चल एवं अचल संपति
नगरोटा बंगवां विधानसभा हल्के से कांग्रेस प्रत्याशी रघुबीर सिंह बाली पूर्व मंत्री दिवंगत जीएस बाली के सुपुत्र हैं। रघुबीर बाली करीब 90 करोड़ की चल एवं अचल संपति के मालिक हैं। उनके पास कई लग्जरी गाड़ियां हैं। पिछले वितीय वर्ष 2021-22 में उन्होंने 2.76 करोड़ का आयकर भरा है। रघुबीर बाली पर 6.18 करोड़ की देनदारियां भी हैं। रघुबीर बाली ने चुनाव आयोग को नामांकन के समय दिए हलफनामे में यह जानकारी दी है।
हलफनामे के मुताबिक रघुबीर बाली की 14.77 करोड़ की चल संपति है। इसमें उनकी पत्नी की 1.57 करोड़ और बच्चे की 26 लाख की संपति भी शामिल है। रघुबीर बाली के पास एक बाइक और पांच लग्जरी गाड़ियां हैं। इनके पास मर्सिडीज, वोक्सवैगन व टाटा की गाडियां हैं।
इसके अलावा रघुबीर बाली के पास 8.55 लाख के सोने और 71 हज़ार के चांदी के गहने हैं। उनकी पत्नी के पास 32.33 लाख के सोने के आभूषण हैं। चुनाव के लिए नामांकन के दौरान रघुबीर बाली के पास 1.70 लाख की नकदी थी।रघुबीर बाली ने हलफनामे में 73.5 करोड़ की अचल संपति दिखाई है। वहीं 2.16 करोड़ की अचल संपति पत्नी के नाम दर्ज है। इस तरह बाली परिवार 75 करोड़ की अचल संपति का मालिक है।
कांगड़ा जिला के नगरोटा हल्के से मौजूदा विधायक अरुण कुमार उर्फ कूका एक बार फिर भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। अरुण कुमार भी करोड़पति उम्मीदवारों की फेहरिस्त में शामिल हैं। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उनकी 2.79 करोड़ की चल एवं अचल संपति की जानकारी दी है।
हलफनामे के मुताबिक अरुण कुमार के परिवार की चल संपति करीब 1.33 करोड़ है। इसमें अरुण कुमार के नाम 82.36 लाख, उनकी धर्मपत्नी के नाम 28.70 लाख और तीन बच्चों के नाम 22 लाख की चल संपति है।
अरुण कुमार की अचल संपति 1.46 करोड़ है। उनके पास 9.30 लाख की कृषि भूमि और 10.20 लाख की गैर कृषि भूमि है। अरुण कुमार ने 2021-22 में 17.16 लाख का आयकर भरा है। उन्होंने हिमाचल विधानसभा से 15.34 लाख का कार लोन भी लिया है।
युवा कोटे से मंत्री बनने के आसार…
अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो रघुवीर बाली को जीतने पर युवा कोटे से मंत्री पद हासिल हो सकता है। वहीं, ब्राह्मण होना भी कांगड़ा कोटे से मंत्री बनने में सहायक होगा।
उधर, अरुण कुक्का के जीतने पर उनका मंत्री बनना मुश्किल नजर आता है, क्योंकि कांगड़ा में पहले से ही ओबीसी कोटे से रमेश ध्वाला, सरवीण चौधरी जैसे दिग्गज नेता लाइन में हैं। चूंकि, रघुवीर बाली पहले भी कांग्रेस के कई संगठनात्मक पदों पर रह चुके हैं, इसलिए उनके समर्थक उन्हें मंत्री से कम नहीं देखना चाहते।
मतदातओं का आंकड़ा
विधानसभा क्षेत्र में इस बार 87797 मतदाता है। मामूली अंतर से महिलाओं की संख्या कम है। भाजपा ने चुनाव प्रचार में महिलाओं को भी टारगेट किया हुआ है।
देखना होगा कि महिला वर्ग भाजपा से प्रभावित है या नहीं। हलके में महिला मतदाताओं की संख्या 43573 है जबकि पुरुष मतदाता 44244 है। ये आंकड़ा 16 अगस्त 2022 का है। मामूली बढ़ोतरी की भी गुंजाईश है।