हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा ने ब्राह्रमण चेहरे डॉक्टर राजीव भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस इस सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री व पूर्व मंत्री आशा कुमारी को यहां से उतारे जाने की चर्चा है। आशा कुमारी चंबा जिला की रहने वाली हैं। कांगड़ा लोकसभा सीट में कांगड़ा और चंबा जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र हैं।
दिलचस्प बात यह है कि चंबा जिला से आज तक कोई भी नेता लोकसभा सदस्य नहीं बन पाया है। चंबा जिला वर्ष 1977 में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बना था। तब से लेकर इस सीट पर कांगड़ा जिला से ही सांसद निर्वाचित हुए हैं।
चंबा जिला से आज तक कोई भी लोकसभा सदस्य नहीं बन पाया। हैरानी की बात यह है कि किसी को यहां से उम्मीदवार भी नहीं बनाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार कांगड़ा लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा चार बार और कांग्रेस के विक्रम महाजन दो बार सांसद चुने गए।
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की 17 में से 13 विधानसभा सीटें कांगड़ा जिला और चार सीटें चंबा जिला में शामिल हैं। दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा ने ज्यादातर कांगड़ा जिला से ही उम्मीदवार दिए हैं।
यही वजह रही कि 1977 के बाद चंबा जिला से कोई भी लोकसभा सांसद नहीं बन पाया। चंबा जिला के पांच में से चार विधानसभा क्षेत्र ही कांगड़ा लोकसभा सीट में आते हैं। चंबा जिला का पांगी विधानसभा क्षेत्र मंडी लोकसभा सीट में शामिल है।
कांगड़ा जिला के आठ विधानसभा क्षेत्रों ने लोकसभा सांसद दिए हैं। कांगड़ा जिला के पालमपुर, नूरपुर व सुलह विधानसभा क्षेत्रों से ही अधिकतर नेता संसद में रहे हैं। ज्वाली, गुलेर, थुरल, धर्मशाला व बैजनाथ विधानसभा क्षेत्रों से भी सांसद चुने गए हैं।
पालमपुर व सुलह से शांता कुमार सबसे अधिक चार बार सांसद रहे। नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से बिक्रम महाजन दो बार व सत महाजन एक बार सांसद चुने गए थे।
वर्ष 1971 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में शांता कुमार चार बार सांसद बने हैं। कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एकमात्र महिला सांसद रही हैं।
चंद्रेश कुमारी ने भी तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा और एक बार जीत हासिल की। वर्तमान सुक्खू सरकार में कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह एक ही बार सांसद बने।
साढ़े तीन दशक तक रहा कांग्रेस का दबदबा
कांगड़ा लोेकसभा सीट पर साढ़े तीन दशक तक कांग्रेस का दबदबा रहा। इस सीट पर पहला चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के हेमराज को जीत मिली थी। साल 1957 में कांग्रेस के पदम देव सांसद चुने गए।
साल 1962 में कांग्रेस के हेमराज दोबारा सांसद बने। साल 1962 में हुए उप-चुनाव में कांग्रेस के छतर सिंह संसद गए और साल 1967 में कांग्रेस के हेमराज लोकसभा सांसद बने।
साल 1967 में कांग्रेस के बिक्रम चंद महाजन, साल 1977 में लोकदल से दुर्गा चंद, साल 1980 में कांग्रेस के बिक्रम चंद महाजन और साल 1984 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी सांसद बनीं।
इस सीट पर साल 1989 में पहली बार भाजपा ने परचम लहराया और शांता कुमार सांसद बने। साल 1991 में भाजपा के डीडी खनुरिया ने जीत हासिल की।
साल 1996 में कांग्रेस के सत महाजन सांसद बने। साल 1998 और साल 1999 में भाजपा के शांता कुमार फिर सांसद बने। साल 2004 में कांग्रेस के चौधरी चंद्र कुमार ने शांता कुमार को हराया।
साल 2009 में भाजपा के डॉ. राजन सुशांत सांसद चुने गए और साल 2014 में तीसरी मर्तबा शांता कुमार सांसद बने। साल 2019 में भाजपा के किशन कपूर रिकार्ड मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
इस दफा यदि कांग्रेस किसी महिला को टिकट देती है और उसका ताल्लुक चम्बा से होगा तो यहां कांग्रेस अप्रत्याशित परिणाम दे सकती है।