116 दवा उद्योगों में उत्पादन पर रोक, गुणवत्ता में कमी पाए जाने के चलते स्वास्थ्य विभाग के आदेश

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दवाइयों की गुणवत्ता में कमी पाए जाने के चलते स्वास्थ्य विभाग के आदेश

शिमला – नितिश पठानियां

स्वास्थ्य विभाग ने 116 दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ निर्माण रोकने के आदेश जारी किए हैं। इन कंपनियों के खिलाफ औषधि नियंत्रण प्रशासन ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत कार्यवाही की हैै। यह बात स्वास्थ्य मंत्री डा.(कर्नल) धनीराम शांडिल ने औषधि नियंत्रण प्रशासन के अधिकारियों के साथ गुणवत्तापूर्ण दवाओं के संदर्भ में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों को किफायती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि निरीक्षण अधिकारियों ने जनवरी 2023 से अक्तूबर तक 142 निरीक्षण किए हैं। ये निरीक्षण राज्य निरीक्षण अधिकारियों ने केंद्रीय निरीक्षण अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से किए हैं। इस दौरान 116 दवा निर्माण कंपनियों की दवाएं गुणवत्ता पर सही नहीं पाई गईं।

अब स्वास्थ्य विभाग ने इन कंपनियों के खिलाफ आगामी कार्यवाही शुरू कर दी है। इसमें लाइसेंस के निलंबन, रद्दीकरण और निर्माण रोकने संबंधी आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण दवाइयां तैयार न करने की स्थिति में दवा कंपनियों के संबंधित उत्पाद को एक से दो माह की अवधि के लिए निलंबित कर दिया जाता है और इसके साथ ही जिन राज्यों में निरीक्षण अधिकारियों ने ऐसे सैंपल एकत्रित किए गए उनके अधिकार क्षेत्र में कंपनियों के विरुद्ध न्यायालय में कानूनी प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। कंपनियों को उनके विनिर्माण प्रक्रिया की समीक्षा के निर्देश जारी किए जाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हिमाचल देश का फार्मास्युटिकल हब है और प्रदेश में लगभग 33 प्रतिशत दवाओं का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वे के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर नॉट-ऑफ-स्टैंडर्ड क्वालिटी की प्रतिशतता 3.16 प्रतिशत है, इसकी तुलना में गत तीन वर्षों के दौरान प्रदेश की प्रतिशतता 1.22 प्रतिशत है जोकि राष्ट्रीय प्रतिशतता से 50 प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने कहा कि अवमानक गुणवत्ता के रूप में घोषित किए गए नमूनों से संबंधित डाटा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को प्रस्तुत किया जाता है, इसे नियमित रूप से वेबसाइट में प्रदर्शित किया जाता है, ताकि लोगों को अवमानक दवाइयों की जानकारी मिल सके।

बैठक में प्रदेश के दवा विक्रेताओं को नशे में दुरुपयोग होने वाली संभावित दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर पर्ची पर स्टेंप लगाने की आवश्यकता पर भी विचार-विमर्श किया गया, ताकि एक ही पर्ची पर बार-बार दवाओं की खरीद को रोका जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बच्चों में नशीली दवाओं की आदत एक गंभीर विषय है। बच्चों को बिना पर्ची के दवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है और जन जागरूकता फैलाकर इस प्रकार की समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। बैठक में स्वास्थ्य सचिव एमसुधा देवी, राज्य ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर और विभिन्न जिलों के ड्रग नियंत्रक अधिकारियों ने भाग लिया।

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