शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने लगभग 40,000 ऐसे अपात्र लाभार्थियों की पहचान की है, जो अंत्योदय अन्न योजना और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) योजनाओं के तहत धोखाधड़ी से सब्सिडी वाले राशन का लाभ उठा रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक लाभार्थियों तक ही पहुंचना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाए गए व्यापक सत्यापन अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का पता चला। जांच में विभाग ने पाया कि निर्धारित सीमा से कहीं अधिक भूमि और आय वाले हज़ारों लोग अपनी गलत जानकारी देकर बीपीएल और अंत्योदय राशन कार्ड प्राप्त करने में कामयाब रहे थे।
जांच के बाद 4,000 से ज़्यादा फर्जी लाभार्थियों को आधिकारिक सूचियों से हटा दिया गया है, और जिले भर में 40,000 से ज़्यादा अन्य लोगों के ख़िलाफ़ जांच जारी है। खाद्य आपूर्ति विभाग ने शेष कार्डधारकों के जमीन के मालिकाना हक और आमदनी संबंधी ब्यौरे की पुष्टि के लिए पटवारियों और पंचायत सचिवों से रिकॉर्ड मांगे हैं। अधिकारियों को पात्रता सीमा से अधिक कार्डधारकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि उनके नाम तुरंत काटे जा सके।
गौरतलब है कि वर्तमान में, बीपीएल कार्डधारकों को प्रति सदस्य प्रति माह 19 किलो आटा और 15 किलो चावल रियायती दरों पर मिलता है, जबकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत परिवारों को 1.20 रुपए प्रति किलो आटे के साथ 15 किलो चावल मुफ्त मिलता है।
जिला नियंत्रक (खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति), नरेंद्र धीमान ने अपात्र लोगों से स्वेच्छा से अपने कार्ड वापस करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभ वास्तविक पात्र लोगों तक पहुंचे। उन्होंने आगे कहा कि डिपो संचालकों को भी संदिग्ध लाभार्थियों से संपर्क करने और अद्यतन पात्रता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग का कहना है कि सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।