हिम खबर डेस्क
भारत में अलग-अलग जगहों पर परंपराएं, प्रथाएं और रीति-रिवाज बहुत अलग हो जाते हैं. एक ही धर्म और यहां तक कि एक जाति में भी स्थान के आधार पर रीति रिवाज एकदूसरे से एकदम अलग होते हैं. अगर आपको किसी जगह के रीति रिवाज जानने हों तो वहां किसी शादी में पहुंच जाइए.
कहीं, मामा की भांजी से तो कहीं भाई और बहन के बीच ही शादी कराने का रिवाज है. ऐसे ही भारत के एक पहाड़ी राज्य में दूल्हे के बहन बारात लेकर भाई की ससुराल जाती है. फिर शादी की सभी रस्में निभाकर नई दुल्हन को बैंड बाजे के साथ घर लेकर पहुंचती है.
हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऊंचे पहाड़, खूबसूरत वादियों के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के अनोखे रीति-रिवाज भी लोगों को चौंका देते हैं.
ऐसे ही एक रीति रिवाज के तहत हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाके लाहौल-स्पीति में बहन अपने भाई के लिए दूल्हा बनती है. फिर बड़ी धूमधाम से बारात लेकर भाई की ससुराल पहुंचती है. इसके बाद बहन ही भाभी के साथ 7 फेरे लेती है और नई दुल्हन को ब्याह कर घर ले आती है.
किसी लड़के की बहन ही ना हो तो क्या?
अब मान लीजिए कि किसी लड़के की बहन ही नहीं है तो क्या उसकी शादी ही नहीं हो पाएगी. या अगर होगी तो शादी कैसे होगी? लाहौल स्पीति की जनजातियों में परंपरा है कि अगर किसी लड़के की बहन ना हो तो उसका छोटा या बड़ा भाई दूल्हा बनकर जाता है. फिर शादी की सभी रस्में निभाकर दुल्हन को घर ले आता है.
कैसे और क्यों हुई परंपरा की शुरुआत?
लाहौल स्पीति में इस विचित्र परंपरा की शुरुआत सदियों पहले हुई बताई जाती है. बताया जाता है कि इस परंपरा को लड़के के किसी कारण शादी के दिन घर पर नहीं होने की स्थिति के लिए शुरू किया गया था. लेकिन, धीरे-धीरे ये परंपरा में तब्दील होती चली गई. अब बहन ही सिर पर सेहरा सजाकर दूल्हा बनती है और दुल्हन घर लेकर आती है.