व्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश की ज्यादातर ग्राम पंचायतों में हजारों मनरेगा कामगारों की दिहाड़ी का भुगतान अटक गया है। इसके अलावा करोड़ों रुपये के विकास कार्य भी ठप हो गए हैं। बेशक प्रदेश में एक अप्रैल से नौ रुपये मनरेगा दिहाड़ी बढ़ा दी हो, लेकिन अभी तक कई पंचायतों में मार्च के लेबर कंपोनेंट का भुगतान ही नहीं हो पाया है।
बजट के अभाव में सीमेंट और अन्य सामग्री की दिसंबर 2021 से कई पंचायतों में खरीद ही नहीं हो पाई और न इस अवधि की सामग्री का भुगतान हो पाया। इससे विकास कार्य ठप हो गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग पर करीब 10 करोड़ रुपये की देनदारियां हो गई हैं।
प्रदेश में मनरेगा की दिहाड़ी को 203 से बढ़ाकर 212 रुपये किया गया है, लेकिन कई पंचायतों में मार्च की भी दिहाड़ी नहीं मिल पाई है। मनरेगा योजना के लिए यह बजट केंद्र सरकार से ही देरी से आ रहा है। इससे काम करने के बावजूद बेरोजगार लोग पैसों के लिए तरस गए हैं।
विभाग की मानें तो निर्धारित से ज्यादा मानव दिवस बढ़ने से यह समस्या पैदा हुई है। पिछले वित्तीय वर्ष में जहां 343 लाख मानव दिवस का काम प्रस्तावित था, वहीं अब यह लक्ष्य बढ़कर 370 लाख मानव दिवस हो गया है।
बीच-बीच में आता रहता है बजट : निदेशक
प्रदेश ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक रुग्वेद मिलिंद ठाकुर ने कहा कि दिहाड़ी की देनदारियां देने के लिए बजट आ गया है। बीच-बीच में बजट आता रहता है, तो उसी हिसाब से भुगतान किया जाता है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के लिए 130 करोड़ रुपये के बजट की मंजूरी आ गई है, जबकि देनदारियां करीब 10 करोड़ रुपये की हैं। जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।
भुगतान के मुताबिक नहीं मिल रहा बजट
ग्राम रोजगार सेवक संघ के जिला कांगड़ा के अध्यक्ष साहिब सिंह ने कहा कि लोगों का दिहाड़ी के पैसे लेने का दबाव बढ़ गया है। केंद्र से पैसा न आने और भुगतान के अनुसार बजट नहीं मिल रहा है। इससे समस्या आ रही है।