शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश सरकार ने साफ किया है कि प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों की फीस और उनमें कार्यरत कर्मचारियों का वेतन तय करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई जाएगी। यह जानकारी शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बुधवार को विधानसभा में शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया के सवाल के लिखित जवाब में दी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों की फीस सरकारी संस्थानों की तरह निर्धारित नहीं की जा सकती, क्योंकि इन्हें सरकार की ओर से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं होती। सरकार का इन संस्थानों पर केवल विनियामक नियंत्रण रहता है।
यह नियंत्रण मुख्य रूप से संस्थानों की मान्यता, गुणवत्ता, मानक और न्यूनतम वेतनमान के संदर्भ में होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सरकार सीधे तौर पर फीस या कर्मचारियों का वेतन तय करती है, तो यह निजी संस्थानों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप माना जाएगा। इसी कारण प्रदेश सरकार इस विषय पर किसी नीति को लाने का विचार नहीं रखती।
मंत्री ने बताया कि फिलहाल प्रदेश में 17 निजी विश्वविद्यालय कार्यरत हैं। इनमें से 16 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों का वेतन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व अन्य नियामक संस्थाओं द्वारा तय मानकों के अनुसार निर्धारित किया जाता है। वहीं, इक्फाई विश्वविद्यालय में वेतन का निर्धारण उनके प्रायोजक निकाय द्वारा बनाए गए मानकों के अनुसार किया जाता है।
3 साल में 10 तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों को पुनर्नियुक्ति
वहीं, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा में बताया कि बीते तीन वर्षों में प्रदेश में किसी भी तहसीलदार या नायब तहसीलदार को सेवा विस्तार नहीं दिया गया है। हालांकि इस अवधि में 2 तहसीलदारों और 8 नायब तहसीलदारों को एक निश्चित अवधि के लिए पुनर्नियुक्ति दी गई है। उन्होंने यह जानकारी विधायक पवन कुमार काजल के सवाल के लिखित जवाब में दी।
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