शिमला – रजनीश ठाकुर
हिमाचल में दिल्ली की तरह शराब घोटाला हुआ है, जिसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। एक्साइज पॉलिसी में घोटाले के आरोप लगाकर गुरुवार को विधानसभा मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि रिज़र्व प्राइस से कम पर बोली लगाई गई, जबकि हमेशा बोली ज़्यादा लगती है।
ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है, जिससे प्रदेश को चपत लगाई गई है। इस दौरान विपक्ष के सदस्य नारे लगाते हुए सदन से बाहर निकले और कहा कि शराब घोटाला नहीं चलेगा। सदन के बाहर मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस संबंध में भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने सवाल किया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने गुमराह किया और सही जवाब नहीं दिया।
रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लाई, ठेकों की निलामी हुई, जिनकी निलामी जिलावार हुई और जिलावार धनराशि को इस साल की निलामी के लिए रिजर्व प्राइस के लिए रखा गया है, लेकिन इस बार रिजर्व प्राइस से भी कम कीमत पर बोली लगाई गई। यानी कि इस साल कम धनराशि आई, जिससे 100 करोड़ की चपत लगी है।
शिमला, कांगड़ा, नूरपुर, ऊना में रिजर्व प्राइस से कम बोली बोली गई है। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने आंकड़ों सहित मीडिया के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमारा आरोप है कि इसमें मिलीभगत हुई है। सरकार के संरक्षण में घोटाला हुआ है।
ऐसे लगी सरकारी खजाने को चपत
इस साल 2024-25 के लिए निलामी के लिए रिजर्व प्राइस रखा गया। हर साल रिजर्व प्राइस से ज्यादा बोली लगाई जाती है, लेकिन इस बार रिजर्व प्राइस से भी कम पर बोली लगाई गई। प्रदेश के पांच जिलों में कम बोली बोली गई है। यानी कि पिछले साल से कम राशि पर ठेकों की निलामी हुई है, जिससे सरकारी खजाने को चूना लगा है।
शिमला में 251 करोड़ 44 लाख रिजर्व प्राइस था, लेकिन 250 करोड़ में निलामी हुई। इसी तरह कांगड़ा में 296 करोड़ 40 लाख रिजर्व प्राइस था और निलामी 279 करोड़ 94 लाख में हुई। नूरपुर में 118 करोड़ 35 लाख रिजर्व प्राइस था और बोली 100 करोड़ में चली गई। चंबा 108 करोड़ 84 लाख रिजर्व प्राइस था और निलामी 103 करोड़ में चली गई।
ऊना में 143 करोड़ 90 लाख रिजर्व प्राइस था और 117 करोड़ में बोली चली गई। इससे जाहिर है कि चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इतनी कम कीमत पर ठेके निलाम हुए और सरकारी खजाने को चपत लगाई गई।
यूनिट्स का पुनर्गठन क्यों किया
जिलों में यूनिटस बनाए जाते हैं, जिसके हिसाब से ठेके आबंटित होते हैं, लेकिन सरकार ने पिछले साल जो यूनिट्स बनाए थे, उनका पुनर्गठन किया और यूनिट को बड़ा कर दिया, ताकि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जा सके। सिरमौर और नूरपुर में पांच-पांच यूनिट थे, जबकि उसका एक यूनिट किया गया।
इसी तरह बिलासपुर में पांच यूनिट थे, जिनके दो यूनिट किए गए। मंडी में आठ यूनिट थे, उसका भी एक यूनिट किया गया, चंबा में 11 यूनिट थे, जिसका एक यूनिट किया गया। इससे जाहिर है कि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने बहुत बड़ा घोटाला किया है, पर ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
महंगे रेट पर बेची जा रही शराब
विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि इस बार सरकार ने जो एक्साइज पॉलिसी लाई, उसमें शराब की बोतलों पर एमएसपी अंकित किया गया। उन्होंने आरोप जड़ा कि जो बोतल एमएसपी से एक रुपया भी महंगी नहीं बेची जानी चाहिए थी, उसे 200 से अढ़ाई सौ रुपए महंगा बेचा गया। इसके बाकायदा सोशल मीडिया पर भी वीडियो जारी हुए हैं। बीयर की बोतल डेढ़ सौ रुपए महंगी बेची गई। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है, जिसकी जांच होनी चाहिए।