सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश के रेणुका वन्यजीव रेंज में पहली बार रामसर वेटलैंड स्थल पर लुप्तप्राय चित्तीदार तालाब कछुआ देखा गया है। यह खोज न केवल क्षेत्र की जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि इस प्रजाति के संरक्षण के प्रयासों को भी नई दिशा मिल सकती है।
वैसे तो हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़ी कुदरती झील श्री रेणुका जी “कछुओं” को लेकर विशेष पहचान रखती है। लेकिन,कछुआ की लुप्तप्राय प्रजाति मिलना बेहद सुखद अनुभव है। इस प्रजाति की पहचान उनके काले सिर, पैर और पूंछ पर पीले या सफेद धब्बों से की जाती है।
समूचे राज्य में “सिरमौर” ही है, जहां हाल ही के सालों में साल के जंगलों में “किंग कोबरा व टाइगर” साईट हुए है। किंग कोबरा व टाइगर भी सिरमौर में ही अब तक रिकॉर्ड हुए हैं, ये भी अपनी तरह का रिकॉर्ड है। इसके अलावा हाथियों का भी दून घाटी स्थाई ठिकाना बन गई है।
बता दें कि ब्लैक पॉन्ड टर्टल की ठिकाने व किंग कोबरा-टाइगर-हाथियों के आशियाने के बीच 10-40 किलोमीटर का फैसला हो सकता है। रेणुका जी झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है, इसे एक महत्वपूर्ण रामसर वेटलैंड के रूप में मान्यता प्राप्त है।
इस झील का पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न जलीय प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास प्रदान करता है। चित्तीदार तालाब कछुआ की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि झील का पारिस्थितिकी तंत्र स्वस्थ है, यहां की जैव विविधता संरक्षित है।