हनुमान जयंती विशेष: सुबह 4 बजे से जाखू मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतारें, जाने क्या है मान्यता?

--Advertisement--

शिमला – नितिश पठानियां

हनुमान जयंती के पावन अवसर पर शिमला स्थित ऐतिहासिक जाखू मंदिर में शनिवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के कपाट जैसे ही तड़के 4 बजे खोले गए, भक्तों की लंबी कतारें मंदिर परिसर में लग गईं। चारों ओर हनुमान चालीसा और भजन-कीर्तन की गूंज सुनाई दी, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

सुबह 4:30 बजे भगवान हनुमान का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके तुरंत बाद मंदिर में भव्य आरती का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मंदिर परिसर आरती के समय दीपों की रोशनी से जगमगा उठा और भक्तों ने जय-जयकारों के साथ अपने आराध्य को नमन किया।

हनुमान जयंती के पावन अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने अपनी धर्मपत्नी के साथ शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की और भगवान हनुमान से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान मंदिर परिसर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यपाल ने पूरे विधि-विधान से भाग लिया।

राज्यपाल ने इस मौके पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हनुमान जी ऐसे अद्वितीय देवता हैं जो हर युग में विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी में अपार शक्तियों के बावजूद भी अहंकार नहीं है, वे विनम्रता की मूर्ति हैं और श्रीराम के प्रति उनकी निष्ठा प्रेरणादायक है। “हनुमान जी को अपना इष्ट मानकर यदि कोई व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है, तो उसका अहंकार स्वतः समाप्त हो जाता है।

राज्यपाल ने सनातन धर्म की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक ऐसी परंपरा है जो अनादि काल से चली आ रही है और आगे भी सदैव बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि “सनातन को मिटाने वाले खुद इतिहास से मिट गए। यूनान, रोम और मिश्र जैसी प्राचीन सभ्यताएं खत्म हो गईं, लेकिन सनातन धर्म आज भी पूरी मजबूती से खड़ा है। हिंदुस्तान को मिटाने की कोशिश करने वाले खुद समाप्त हो गए, लेकिन भारत और उसकी संस्कृति हमेशा जीवित रहेगी।”

राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं भी दीं और समाज में शांति, समृद्धि और सौहार्द की कामना की। मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी राज्यपाल के साथ आरती में भाग लिया और हनुमान जी के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

क्या है मान्यता

हनुमान जयंती हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से उनका आशीर्वाद, सफलता, शक्ति और भक्ति प्राप्त होती है। इस मौके पर लोग हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान, जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तो सुखसेन वैद्य ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। उस हनुमान जी प्रभु श्री राम के आदेशों पर संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत आए थे।

हनुमान जी ने जाखू पहाड़ी पर किया था विश्राम

जाखू मंदिर के पुजारी राम लाल शर्मा ने बताया कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने जा रहे थे उसकी समय रास्ते में उन्होंने नीचे पहाड़ी पर यक्ष नामक ऋषि को देखा तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे, जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई।

हनुमान जी ने याकू ऋषि को नमन कर विश्राम करने के साथ संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की और उन्हें वचन दिया कि वो संजीवनी लेकर आते समय उनके आश्रम पर जरूर आएंगे, लेकिन लौटते वक्त कालनेमि से युद्ध करना पड़ा और समय के आभाव के कारण हनुमान जी ऋषि याकू के आश्रम नहीं जा सके और छोटे मार्ग से होते हुए संजीवनी बूटी लेकर लौट गए।

पुजारी राम लाल शर्मा बताते हैं कि ऋषि याकू हनुमान जी के न आने से व्याकुल हो उठे। ऋषि याकू के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए और इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनके उनकी चरण पादुकाएं मौजूद हैं। जिस स्थल पर हनुमान जी उतरे थे, वहां पर आज भी जाखू में उनके चरण चिन्हों को मंदिर में अलग से एक कुटिया बनाकर संगमरमर से निर्मित कर सुरक्षित रखा गया है।

मंदिर के पुजारी राम लाल शर्मा ने बताया कि हनुमान जयंती के मौके पर हर साल भक्तों की बड़ी संख्या यहां आती है, लेकिन इस बार भीड़ पहले से कहीं अधिक है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा और व्यवस्था के लिए स्थानीय प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

2010 में स्थापित हुई विशाल मूर्ति

जाखू मंदिर में हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति भी लगी है। कंकरीट की ये विशाल मूर्ति 2008 में बननी शुरू हुई थी और 2010 में इसे स्थापित किया गया था। जाखू मंदिर में हनुमान जी की ये मूर्ति अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा और उनके पति निखिल नंदा ने बनवाई थी, जो भारत की सबसे बड़ी ओरल-केयर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जेएचएस स्वेन्दगार्ड लेबोरेटरीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। इसका उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था।

--Advertisement--
--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

रेड क्रॉस शिविर में 69 लोगों ने किया रक्तदान

मंडी, 16 अक्तूबर - हिमखबर डेस्क  ंरेड क्रॉस सोसाइटी मंडी...

आपात परिस्थितियों में सीपीआर से बचाई जा सकती है किसी की जान

भोरंज के मिनी सचिवालय में सीपीआर पर आयोजित किया...

आंगनबाड़ी सहायिकाओं के साक्षात्कार 28 से 30 अक्तूबर को रैत में होंगे आयोजित

शाहपुर, कांगडा व धर्मशाला उपमंडल की कुछ पंचायतों के...