सांसों की खेती कर रहे बिलासपुर के सुनील

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बिलासपुर, सुभाष चंदेल

वट वृक्ष का महत्व हम भूल गए थे। लेकिन कोरोना ने जब सांसें छीनना शुरू किया तो हमें अहसास हुआ कि यह मनुष्य के लिए कितना फायदेमंद है। प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करने वाले बहुत हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इससे प्यार करते हैं, बरगद व पीपल जैसे पेड़ों का महत्व भली भांति जानते हैं। जिला बिलासपुर के ऐसे ही एक शख्स हैैं सुनील शर्मा, जो कोरोना महामारी से कई महीने पहले ही वट व पीपल के पौधों का रोपण कर चुके हैं। इन दिनों वह एक तरफ नई पौध लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ पुराने पेड़ों की सेवा कर रहे हैं।

सांसों की खेती दिया नाम                                                                                                जिला बिलासपुर के कोशरियां निवासी सुनील शर्मा ने भगेड़ स्थित अपनी पशु डिस्पेंसरी के आसपास करीब वट और पीपल के 20 पौधे लगाए हैं। इनमें कुछ तीन और सात वर्ष के हो चुके हैं। वट वृक्ष और पीपल की खेती को इन दिनों सुनील शर्मा ने सांसों की खेती का नाम दिया है। इसी से वह महामारी के दौरान लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं।

सुनील ने बताया कि वट वृक्ष को पहले एक ड्रम में रोपा गया और जब उसका आकार बड़ा हो गया तो उसे जमीन में रोपित किया गया। ड्रम में लगाने से जहां इसकी रक्षा पशुओं से हो सकी, वहीं इसे हम नजरों के सामने रख सके । इसके अलावा उन्होंंने अपने परिसर में व कुछ सरकारी भूमि पर अर्जुन, अनार, शहतूत, आंवला के भी लगभग 100 से अधिक पौधे लगाए हैं। इन सभी को उन्होंने लोहे की जाली और कंटीली झाडिय़ों से सुरक्षित कर रखा है।

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