ज्वाली- अनिल छांगु
दिन बीते, महीने बीते और अब साल बीत रहे हैं जिसके साथ-साथ शहीद की शहादत की यादें भी धुंधली होती जा रही हैं लेकिन शहीद के माता-पिता, पत्नी व बच्चों को यह शहादत जिंदा रहने तक याद आती रहेगी।
उपमंडल जवाली के अधीन पंचायत नाणा के धेवा से संबन्ध रखने वाले तिलक राज आज के दिन 14 फरवरी 2019 को पुलवामा अटैक में शहीद हो गए थे। तिलक राज जम्मू में सीआरपीएफ में बतौर सिपाही कार्यरत थे।
शहीद तिलक राज अपने पीछे अपने पिता लायक राज, माता बिमला देवी, पत्नी सावित्री देवी व दो बच्चे वरुण कपूर व विवान कपूर छोड़ गए थे। उस समय विवान कपूर मात्र 22 दिन का था।
आज विवान कपूर 6 साल का है जबकि विवाह कपूर 3 साल है। वर्ष 2019 को आज के दिन देश-प्रदेश सहित जवाली का हर निवासी गमगीन था लेकिन वक्त की थपेड़ों ने शहीद की शहादत को धुंधला कर दिया।
फेसबुक पर लोगों ने शहीद तिलक राज को किया याद
फेसबुक पर शहीद तिलक राज की शहादत पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते रहे। काफी लोगों ने शहीद तिलक राज को याद किया तथा उनकी शहादत को युगों-युगों तक याद रखने की बात कही। कइयों ने जय हिंद, शहीद तिलक राज अमर रहे जैसे कमेंट लिखकर श्रद्धांजलि दी गई परन्तु राजनेताओं को शहीद तिलक राज की याद तक नहीं आई।
शहीद के माता-पिता को आज भी बेटे के आने का इंतजार
शहीद तिलक राज के पिता लायक राज व माता बिमला देवी ने कहा कि हमारे बेटे ने देश सेवा में प्राणों का बलिदान दिया है जोकि हमारे लिए गर्व की बात है। आज भी हमारी आंखें अपने बेटे के आने का इंतजार करती हैं। प्रतीत होता है कि शायद कहीं से हमारा बेटा आएगा और हमें आकर गले लगाएगा।शहीद के माता-पिता ने कहा कि कोई याद करे या न करे लेकिन हम कभी भी नहीं भूल पाएंगे।
शहीद की माता बिमला देवी ने कहा कि सरकार ने श्मशानघाट को जाने वाले रास्ते को पक्का करवाने, सड़क का नाम शहीद के नाम पर बनाने व शहीद की प्रतिमा लगवाने का वादा किया था लेकिन आजतक कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ है।
जिससे हमें आघात पहुंचती है। उन्होंने कहा कि हमारी इन मांगों को जल्द पूरा किया जाए ताकि हमारे बेटे की शहादत को युगों-युगों तक याद रखा जा सके।
शहीद का जीवन परिचय
तिलक राज का जन्म 2 मई, 1988 को पिता लायक राज व माता बिमला देवी के घर नाणा पंचायत के गांव धेवा में हुआ। शहीद तिलक राज के पिता लायक राज मजदूरी करते हैं और माता बिमला देवी गृहिणी हैं। प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला धेवा में हुई। स्कूल घर से डेढ़ किलोमीटर दूर था और वह हर रोज पैदल ही स्कूल जाते थे।
आगे की पढ़ाई छह किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला परगोड़ से की थी। तिलक राज शुरू से पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी शौक रखते थे। गरीबी के कारण 10वीं के बाद तिलक राज पढ़ाई नहीं कर सके थे।
इसके बाद जवाली में तीन साल फोटोग्राफी का काम सीखा और फिर हार में दुकान खोली थी। घर से 10 किलोमीटर दूर हार गांव में दुकान चलाई थी। तिलक राज ने कबड्डी में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था।
लोकगायक भी थे शहीद तिलक राज
तिलक राज कबड्डी खिलाड़ी ही नहीं बल्कि लोकगायक भी थे। उन्होंने सिड्डू शराबी, नीलमा गद्दण व मेरी मोनिका जैसे हिट गाने गाए थे। यू-ट्यूब पर हजारों लोगों ने इन गानों को सुना है। छुट्टी आने के बाद घर में घरेलू कबड्डी प्रतियोगिता में हारचक्कियां टीम की ओर से खेलते थे।
ये थे अंतिम शब्द
13 फरवरी, 2019 की शाम करीब छह बजे तिलक राज ने पत्नी सवित्री देवी से फोन पर बात की थी तथा फोन पर बताया था कि छुट्टी आकर वह गाना रिकॉर्ड करवाकर रिलीज करेंगे।