दिल्ली – नवीन चौहान
अडानी समूह पर अमरीकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट को लेकर गुरुवार को संसद में विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी हंगामा किया, जिसके कारण कोई कामकाज नहीं हो सका और दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा और राज्यसभा में पूर्वाह्न 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मुद्दा उठाया और तुरंत चर्चा की मांग की।
दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारियों ने विपक्ष की इस मांग को विभिन्न कारणों का उल्लेख करते हुए अस्वीकार कर दिया तो विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा करना आरंभ कर दिया। इसके कारण दोनों सदनों में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका।
राज्यसभा और लोकसभा में पूर्वाह्न 11 बजे जैसे आवश्यक दस्तावेज रखे जाने और पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री शांति भूषण को श्रद्धांजलि देने की प्रक्रिया पूरी हुई और सदनों की कार्यवाही शुरू करने की घोषणा की गयी तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करने लगे।
सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन का कामकाज सुचारु रूप से चलने देने की बार-बार अपील की, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामा जारी रखा। इसे देखते हुए श्री धनखड़ और श्री बिरला ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।
अपराह्न दो बजे राज्यसभा की कार्यवाही जब फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। धनखड़ ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा कराने का प्रयास किया तो कांग्रेस के जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम अपनी सीटों पर खड़े गये और नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस के बारे में पूछने लगे।
कांग्रेस के अन्य सदस्य भी अपनी सीटों पर खड़े हो गये और जोर-जोर से बोलने लगे। अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी कांग्रेस का साथ दिया और जोर-जोर से बोलने लगे। रमेश ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में अमृतकाल घोटाला हो रहा है।
स्थिति को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के भीतर ही दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। इससे पहले सुबह भी नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस को स्वीकार न किए जाने को लेकर कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखे जाने के बाद कहा कि नियम 267 के तहत नौ सदस्यों ने नोटिस दिया था, जो नियमों के अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने सभी नोटिसों को अस्वीकार किये जाने की घोषणा की।
इसके बाद कांग्रेस के सदस्य एक साथ अपनी सीट के निकट खड़े हो गये और शोरगुल करने लगे। इसे देखकर सभापति ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सभापति ने कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एलामरम करीम, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तेलंगाना राष्ट्र समिति के के केशव राव और द्रमुक के तिरुची शिवा नियम 267 के तहत नोटिस देने वालों में शामिल हैं। कांग्रेस सदस्यों ने हिंडनबर्ग की अडानी समूह के बारे आयी रिपोर्ट को लेकर हंगामा किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पूर्वाह्न 11 बजे सदन समवेत होते ही विशेष दीर्घा में बैठे ज़ाम्बिया के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने जैसे ही प्रश्नकाल के लिए सदस्य का नाम पुकारा, विपक्षी सदस्य हिंडनबर्ग के मुद्दे पर चर्चा की माँग को लेकर हंगामा करने लगे।
बिरला हंगामे के बीच में बार-बार सदस्यों से सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील करते रहे। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण होता है, इसकी कार्यवाही चलने दें। उन्होंने सभी सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर बैठने का आग्रह किया, लेकिन हंगामा नहीं रुका, जिसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।
लोकसभा में अपराह्न दो बजे कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य सदन के बीचोबीच आकर हंगामा करने लगे।
उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) तथा सरकारी बैंकों में आम लोगों का धन डूबने के मुद्दे पर चर्चा की माँग करते हुए भारी हंगामा किया जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
हंगामे के बीच में पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने ज़रूरी कागज़ात सदन के पटल पर रखवाए। वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू करवाते कि इससे पहले ही सदस्यों हंगामा शुरू कर दिया।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदस्यों से आग्रह किया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला अभिभाषण है और इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों ने उनकी कोई बात नहीं सुनी।
पीठासीन अधिकारी ने भी बार-बार सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की, लेकिन उनकी बात भी नही सुनी गयी और हंगामा होता रहा तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।