व्यूरो रिपोर्ट
ओह चौबर दे चेहरे उत्ते नूर दसदां नी, एहदा उठेगा जवानी विच जनाजा मिठ्ठिये…यह गीत सिद्धू मूसेवाला ने वाजिर रैपर के साथ मिलकर 15 मई को रिलीज किया था, शायद उन्हें पता नहीं था कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी गीत है और इसी गीत के बोल सच होने वाले हैं। महज, दो सप्ताह बाद ही सिद्धू मूसेवाला की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई।
सिद्धू ने यह गीत खुद पर ही गाया था, जिसमें वह कहते हैं कि चौबर यानी गबरू जवान के चेहरे पर काफी नूर दिख रहा है और इसका जनाजा जवानी में ही निकलने वाला है।
गीत दो सप्ताह में तेजी से वायरल हो रहा था और उसको सुनने वालों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी थी। यह गीत रविवार को हकीकत में बदल गया और सिद्धू मूसेवाला सदा के लिए गहरी नींद सो गए।
सिद्धू मूसेवाला की जिंदगी को खतरा था यह बात पंजाब की खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों को पता थी। 16 सितंबर 2020 को जालंधर में दो बदमाश पकड़े गए थे, जिन्होंने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला से भी फिरौती के 50 लाख मांगने थे और मना करने पर दोनों ने मूसेवाला की गोली मारकर हत्या करने की योजना बनाई थी।
चंद्र खन्नी निवासी वार्ड नंबर 6 बलाचौर जिला नवांशहर तथा हरियाणा के रहने वाले गुरजिंद्र को काबू किया था। तलाशी के दौरान इन से एक पिस्टल और 4 जिंदा कारतूस, एक देसी कट्टा 315 बोर , 2 कारतूस बरामद किए थे।
तत्कालीन एसपी मनप्रीत सिंह ने पूछताछ के बाद खुलासा किया कि दोनों ने सिद्धू मूसेवाला से 50 लाख की फिरौती मांगी थी और अगर न मिलती तो सिद्धू मूसेवाला की हत्या करनी थी।