ज्वालामुखी – गुरदेव राणा
भडोली के लखवाल में पुर्व बीडीसी सद्स्य अनिता देवी द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह में रुक्मिणी हरण व विवाह की कथा का वाचन किया गया। मण्डी के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री वी.एल. भारद्वाज ने कहा कि जब रुक्मिणी विवाह योग्य हुई तो उनके पिता भीष्मक को उनके विवाह की चिन्ता हुई। लोग रुक्मिणी के पास आते तथा श्रीकृष्ण की प्रशंसा करते।
रुक्मिणी ने निश्चय किया कि वे विवाह करेंगी तो श्रीकृष्ण से ही करेंगी। रुक्मिणी का भाई को यह बात मंजूर नहीं थी, क्योंकि वह श्रीकृष्ण से बैर रखता था। वह उनका विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था। कथा वाचक श्री वी.एल. भारद्वाज ने कहा कि रुक्मिणी ने यह संदेश एक ब्राह्मण के माध्यम से द्वारकाधीश भगवान कृष्ण को भेजा व उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की।
संदेश पाकर कृष्ण कुंडनीपुर की तरफ चल दिए। रुक्मिणी जैसे ही गिरिजा मंदिर पहुंची, श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने रथ पर सवार कर लिया। यदुवंशियों ने उन्हें रोककर युद्ध किया। शिशुपाल पराजित हो गए। बाद में द्वारका जाकर श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह किया।
कथा वाचक श्री वी.एल. भारद्वाज ने कहा कि सच्चे मन से की गई आराधना से भगवान खिंचे चले आते हैं। रुक्मिणी की करुण पुकार सुन श्रीकृष्ण ने उनकी भावनाओं व प्रेम का मान रखते हुए लाख बाधाओं के बाद भी उनसे विवाह किया।
इसके बाद रंगारंग मंचन ने भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कथा व्यास कहा कि रुक्मिणी ने विवाह से पूर्व ही भगवान श्रीकृष्ण को मन से पति मान लिया था, इसलिए उनका हरण नहीं हुआ, बल्कि वे स्वयं उनके साथ गई थी।
अभिमानी रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने जब भगवान को रोकने का प्रयास किया तो कृष्ण ने उसका दंभ चूर कर दिया था। जो भक्त भगवान को मन से अपना मानते हैं, भगवान स्वयं उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करते हैं ।
इस दौरान भगवान कृष्ण व रुक्मिणी विवाह से संबंधित भजन भी गाए गए। भजनों पर भक्त जमकर झूमे। इससे पूर्व कथा आयोजक अनिता देवी ने परिवार सहित वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजा की। अंत में भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। भजन मण्डली में रजत, राज, राजकुमार पिंकू व जितेंद्र शर्मा उपस्थित रहे।
आयोजन में इस दौरान ब्रजेश्वर साकी, अर्जुन, रजनीश, निशू, नीरु सुकन्या, प्रियंका चौधरी, रणजीत सोनू, सचिन, अभिषेक, अंजू, अंजना देवी, अनिता कुमारी, अक्षय कुमार, शिवानी, महिन्द्रा कुमारी, संदीप दीपा व सुरेश देवी सहित सैकड़ों महिला पुरुष श्रद्वालु जुटे।