शिमला – नितिश पठानियां
बीती रात भारी वर्षा के कारण सतलाई पंचायत के ठूंड नाला में बाढ़ आने से गांव की सड़क, खेतों और पानी की बावड़ी को भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों के अनुसार ठूंड गांव के शिखर पर एक निजी क्षेत्र में स्टोन क्रशर बीते करीब 14 वर्षों से कार्यरत है, जिनके पास डंपिग साईट न होने से क्रशर का सारा मलबा ठूंड नाला में फैंका जाता है, जोकि हर बरसात में विकराल रूप धारण करके ठूंड के अलावा धाली बागड़ा गांव के लोगों की जमीन को नुकसान पहुंचाता है।
लोगों का कहना है कि बीती रात भारी बारिश होने से ठूंड गांव को जोड़ने वाली एंबुलेंस रोड़ की पुलिया टूट गई है। जिससे किसानों को अपने उत्पाद टमाटर, शिमला मिर्च और फ्रांसबीन को सब्जी मंडियों तक भेजने में भारी दिक्कत पेश आ रही है। इसके अतिरिक्त किसानों के खेतों में मलबा भर जाने से फसलें तबाह हो गई है। प्राचीन पानी की बावड़ी में भी मलबा भर गया है, जिससे लोगों को पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो गई है।
ठूंड गांव के दीपक ठाकुर, रणजीत ठाकुर, आशीष ठाकुर, रमेश शर्मा, सतीश ठाकुर, नंदलाल शर्मा, पंकज शर्मा, सदानंद शर्मा ने सरकार के प्रति रोष प्रकट करते हुए कहा कि हर वर्ष बरसात में ठूंड नाला से आने वाले मलबे बारे सरकार के साथ मामला उठाया जाता है परंतु आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला है।
उन्होंने खनन विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय लोगों की मर्जी के बिना स्टोन क्रशर को अनुमति दी गई है, जिस बारे ठूंड व आसपास के गांव के लोगों से कोई एनओसी नहीं ली गई है। स्टोन क्रशन की मनमानी के चलते विशेषकर ठूंड गांव को हर बरसात में परेशानी से जूझना पड़ता है । सरकार उनकी इस समस्या को हर साल नजर अंदाज किया जाता है।
दीपक ठाकुर ने बताया कि बीते वर्ष इस नाला के पानी से उनके खेतों को नुकसान पहुंचा था, जिसकी भरपाई करने के लिए स्टोन क्रशर के मालिक ने भरपाई करने का आश्वासन दिया था परंतु आज तक कुछ नहीं मिला।
तहसीलदार जुन्गा नारायण परमार के बोल
तहसीलदार जुन्गा नारायण परमार से जब इस बारे बात की गई। उन्होंने बताया कि ठूंड गांव में भारी वर्षा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए जल शक्ति, कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाकर नुकसान का जायजा लेने के आदेश दिए गए हैं।