पालमपुर- बर्फू
अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया के प्रतिमा स्थल की एक बड़ी कमी को पूर्व सेनाध्यक्ष की पारखी नजरों ने भांप लिया। मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थल पर उनकी नजर पट्टिका पर पड़ी जिसमें शहीद की वीरता का उल्लेख किया गया था।
जनरल मलिक के अनुसार न ही इस पट्टिका में मेजर सुधीर वालिया द्वारा कारगिल युद्ध के दौरान दिखाए गए शौर्य का जिक्र है और न ही श्रीलंका में आपरेशन पवन में शहीद सुधीर वालिया द्वारा दिखाए गए पराक्रम का उल्लेख। जनरल मलिक ने कहा कि मेजर सुधीर वालिया दमदार सेना अधिकारी थे और उनके तमाम वीरता कार्यों का उल्लेख यहां अवश्य किया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके।
जानकारी के अनुसार प्रशासन व सेना के अधिकारियों ने जल्द ही नई पट्टिका यहां लगाने की बात कही है जिसमें मेजर सुधीर वालिया की पूरी वीरगाथा लिखी जाएगी। उन्होंने वहां मौजूद प्रशासनिक अमले और सेना के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने पालमपुर में सौरभ वन विहार का दौरा करने के साथ पालमपुर में स्थापित शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा, कै विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया और कै सौरभ कालिया की प्रतिमाओं पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
शहीदों की शहादत हमेशा याद रहे
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा है कि शहीदों की शहादत को कभी नहीं भूलना चाहिए, जो जांबाज मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हैं उनको हमेशा याद किया जाना चाहिए। इस दौरान उनके साथ उनकी धर्मपत्नी रंजना मलिक भी मौजूद थीं। जनरल मलिक ने शहीदों के परिजनों से मुलाकात भी की।
हमारे बेटे जैसे थे मेजर सुधीर
शहीद मेजर सुधीर वालिया ने काफी समय तक जनरल वीपी मलिक के साथ काम किया था। जनरल मलिक व उनकी धर्मपत्नी रंजना मलिक ने मेजर सुधीर वालिया को याद करते हुए बताया कि मेजर सुधीर वालिया बहुत ही नेक और जोशीले अधिकारी थे जिसे मलिक परिवार अपने बेटे की तरह मानते थे।
लंबे इंतजार के बाद लगी थी प्रतिमा
पालमपुर में अपने बेटे की प्रतिमा देखने के लिए शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ा था। शहादत के करीब दो दशक बाद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा पालमपुर-धर्मशाला मार्ग पर स्थापित की गई थी।