शहीद के घर को बनने वाले रास्ते में सरकारी ठेकेदार धड़ल्ले से कर रहा मिलावट और विभाग बना मूकदर्शक!
नगरोटा सूरियां – व्यूरो रिपोर्ट
लोक निर्माण विभाग उपमंडल नगरोटा सूरियां के अंतर्गत निर्माण संपर्क सड़क अप्पर कटोरा, घेरा, बन तुंगली, शहीद संगत सिंह के घर तक बनाया जा रहा है। जिसका टेंडर 2 करोड 61 लाख के करीब हुआ है जिसमें टेंडर सरकारी ठेकेदार ज्वाली को आवंटित हुआ है ।
मौके पर इस निर्माणाधीन सड़क किनारे डगे और नालियों का काम जोरों पर चला हुआ है लेकिन आपको बता दे कि निर्माणाधीन रास्ते के डँगों के लिए ठेकेदार द्वारा लोकल खड का रेता धड़ल्ले से प्रयोग में लगाया जा रहा है।
बड़ी हैरानी की बात है की लोक निर्माण विभाग नगरोटा सूरियां का कार्यालय मात्र 2 या 3 किलोमीटर ही दूरी पर स्थित है और विभाग के अधिकारियों ब कर्मचारियों के नाक तले सरकारी कार्यों में मिलावट की जा रही है ओर विभाग मूक दर्शक बन बैठा हुआ है।
विकास की आड़ में किस कदर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है हालांकि काफी सारा कार्य मौके पर हो चुका है। और उसकी गुणवत्ता के ऊपर भी प्रश्नचिन्ह उठाना बनता है।
जहां एक ओर ज्वाली वे विधायक व कृषि मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार अक्सर जनसभाओं में कहते है कि भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा । वहां सरकारी ठेकेदार द्वारा सरेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
इस बारे में सरकारी ठेकेदार को फोन द्वारा संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया । वहीं बुद्धिजीवी वर्ग ने बताया कि ठेकेदार द्वारा करवाए जा रहे कार्य की गुणवत्ता की विभाग को जांच करनी चाहिए। तथा ठेकेदार के विरुद्ध घटिया मटीरियल प्रयोग करने को लेकर विभाग को कार्यवाही करनी चाहिए व आगे से ऐसे ठेकेदारों को टेंडर नहीं देना चाहिए।
वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह व कृषि व पशूपालन मंत्री से मांग की है कि ऐसे ठेकेदारों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता के बोल
इस विषय में लोक निर्माण विभाग उपमंडल नगरोटा सूरियां के सहायक अभियंता युद्धवीर सिंह ने बताया कि गुणवत्ता के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि जैसे ही घटिया मटीरियल के प्रयोग की सूचना मिली तो ठेकेदार को बोलकर सारा मटीरियल हटवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि बिजली न होने की बजह से खड्ड का अवैध मटीरियल ठेकेदार द्वारा फैंका गया था।
परन्तु अब प्रश्न यहां ये उठता है कि अगर बिजली नहीं थी तो क्या घटिया तरीके का मटीरियल प्रयोग किया जाना चाहिए।
अगर आज मौके पर हमारे संवाददाता नहीं पहुंचते तो ये घटिया मटीरियल ही डँगों के निर्माण कार्य मे लगा दिया जाता। अब देखना ये होगा कि विभाग यहां किस कद्दर लीपापोती करता है।