युक्रेन मे फंसे भारतीय छात्रों को देश वापिस लाने मे केंद्र सरकार विफल

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हमीरपुर- अनिल कल्पेश

युक्रेन मे फंसे भारतीय छात्रों को अपने देश मे वापिस लाने मे केंद्र सरकार विफल हो रही है! यह बात एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक एवं सह प्रभारी पंजाब प्रदेश एनएसयूआई रूबल ठाकुर ने जारी प्रेस वार्ता में कही!

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के यूक्रेन से लाए जा रहे छात्र-छात्राओं के कार्य को विफल रह रही है! रूबल ठाकुर ने कहा कि लगभग 7 दिन बीत जाने के बावजूद भी अभी तक 20 हजार बच्चों में से 1500 छात्र ही वतन वापस पहुंच पाया है तो इसे सरकार की विफलता ही कहां जाएगा ।

अभी भी यूक्रेन में 15 से 16 हजार छात्र फंसा हुआ है, परंतु केंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है। रूबल ठाकुर ने कहा कि पिछले दिन ही यूक्रेन में स्थित इंडियन एंबेसी ने ट्वीट किया की जितने भी भारतीय छात्र छात्राएं यूक्रेन में फंसे हैं।

वह नजदीकी देशों के लगते बॉर्डर पर पहुंचे, परंतु आपको बताएं कि यूक्रेन से हंगरी बॉर्डर लगभग 800 किलोमीटर दूर है, एवं पोलैंड बॉर्डर लगभग 700 किलोमीटर दूर है और रोमानिया लगभग 500 किलोमीटर दूर है। इतनी भयानक स्थिति में भारत के छात्र किस तरह से अपनी जगह से इन बॉर्डर तक पहुंच पाएंगे।

रूबल ने कहा कि इस तरह के आदेश समझ से परे हैं। इसके साथ ही पिछले कल 21 वर्षीय नवीन जोकि कर्नाटका के हवेरी जिले से संबंध रखते थे उनकी मृत्यु यूक्रेन में हो गई। जिसकी वजह से भारतीय छात्रों में और भी भयानक तिथि पैदा हो रही है ।

कई बार बॉर्डर ऊपर भारतीय छात्रों की पिटाई का वीडियो आ रहा है, कई बार उनको घसीटा जा रहा है, इस तरह के वाक्य भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन के अंदर सामने आना बहुत ही शर्मनाक है।

रूबल ठाकुर ने आरोप लगाया की जिस समय युद्ध की स्थिति यूक्रेन के अंदर पैदा हो गई। उसी समय जब भारतीय छात्र घर वापस आने लगे तो भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने अपनी टिकटों का किराया ₹25000 से बढ़ाकर 60-70 हजार पे कर दिया। इतने मुश्किल वक्त मैं भी यह भारतीय कंपनियां लूटने में बाज नहीं आई।

रूबल ठाकुर ने कहा कि सोशल मीडिया पर भारतीय छात्रों को कुछ अपने ही भारतीय लोगों द्वारा गलत ठहराया जा रहा है कि वह यूक्रेन में पढ़ाई करने गए, तब उसमें सरकार की कोई गलती नहीं है। परंतु आपको बता दें भारत में हर साल 10 लाख छात्र नीट का एग्जाम देते हैं। जिसमें से सिर्फ और सिर्फ सरकार के पास 88 हजार ही सीट उपलब्ध है।

जिनमें से 50,000 प्राइवेट एवं 38 हजार सरकारी है। इसके बावजूद छात्र बाहर ना जाएं तो कहां जाएं। भारत के अंदर अगर किसी छात्र ने प्राइवेट संस्था से मेडिकल की पढ़ाई करनी हो तो उसका 6 साल का खर्चा लगभग एक करोड़ से अधिक आता है, परंतु यूक्रेन के अंदर यही खर्चा 20 से 25 लख रुपेय का है।

लेकिन कुछ लोगों द्वारा उन्हीं छात्रों के ऊपर प्रश्न पैदा कर रहे हैं जो यूक्रेन के अंदर फंसे हैं।

रूबल ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि अपने खुद के देश के लोगों को इस तरह से बदनाम किया जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है। रूबल ठाकुर ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द बाकी बचे हुए छात्रों को भारत वापस लाएं तथा अपने फ्लाइटों की संख्या और अधिक तेज करें। जिससे कि छात्रों की संख्या बढ़ सके।

जो छात्र अभी भी बंद करो में फंसे हैं, उन्हें भी वहां से निकाला जाए। नहीं तो आने वाले समय में स्थिति और भी भयानक होने वाली है। जिसमें नुकसान जो है वह भारत देश का ही होगा क्योंकि जो छात्र वहां पर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं वह भी भारतीय हैं।

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