मेडिकल कोडिंग: इसमें आप मेडिकल कोडर, बिलर जैसे इंटरेस्टिंग रोल्स में कर सकते हैं काम

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हिमखबर डेस्क

मेडिकल फील्ड अब सिर्फ डाक्टरों और एमबीबीएस छात्रों तक सीमित नहीं है। इस फील्ड में छात्रों के लिए और भी कई ऑप्शन हैं। ऐसे में इस फील्ड से ही रिलेटेड एक बेस्ट ऑप्शन कोर्स है मेडिकल कोडिंग, जो आजकल बहुत पॉपुलर हो रहा है।

इसमें आपको मेडिकल के वड्र्स और प्रोसीजर को कोड्स में बदलने का काम करना होता है, जिससे हैल्थ सर्विसेज को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सके। इसके लिए आपको डाक्टर बनने की जरूरत नहीं है। इसमें आपको सिर्फ कोर्स, ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है।

इस क्षेत्र में आप मेडिकल कोडर, मेडिकल बिलर जैसे आसान और इंटरेस्टिंग रोल्स में काम कर सकते हैं। यह एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जिसमें अच्छी सैलरी और करियर के मौके हैं। तो ऐसे में अगर आप मेडिकल फील्ड में काम करना चाहते हैं, तो मेडिकल कोडिंग एक बेटर और इंटरेस्टिंग करियर ऑप्शन हो सकता है।

मेडिकल कोडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े तरह-तरह के डिटेल्स को स्टैंडर्ड कोड्स के रूप में बदल दिया जाता है। यह कोड्स मेडिकल, दवाओं, प्रोसेसेज और इलाज से संबंधित होते हैं। इसका पर्पस मेडिकल डाटा को इक_ा करना, सुरक्षित रूप से स्टोर करना और स्वास्थ्य सेवाओं के बिलिंग और क्लेम प्रोसेसिंग के लिए उसे उचित कोड्स में बदलना होता है।

ये कोड्स स्वास्थ्य सेवाओं को समझने, आर्गेनाइज करने और क्लेम्स को सही तरीके से प्रोसेस करने में मदद करते हैं। जैसे-जब एक मरीज किसी बीमारी का इलाज करवाता है, तो डाक्टर उस बीमारी और इलाज को रिकॉर्ड करते हैं।

मेडिकल कोडिंग में इन सभी जानकारी को डिटेल कोड्स में बदला जाता है, जैसे कि उस बीमारी का नाम, दी गई दवाइयां, उपचार, ऑपरेशन आदि। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वास्थ्य सेवाओं का सही तरीके से बिलिंग किया जाए और बीमा कंपनियां सही क्लेम्स का पेमेंट करें।

कुछ खास स्किल्स जरूरी

मेडिकल कोडिंग एक स्पेशलाइज्ड और टेक्निकल फील्ड है, जिसमें कुछ खास स्किल्स जरूरी हैं, जैसे…

मेडिकल टर्मिनोलॉजी का ज्ञान

  • मेडिकल कोडिंग में काम करने के लिए मेडिकल टर्मिनोलॉजी का अच्छे से ज्ञान होना जरूरी है।
  • आपको शरीर के अंगों, रोगों, प्रक्रियाओं और दवाओं के नाम और उनके अर्थ के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

कोडिंग सिस्टम की नॉलेज

  • मेडिकल कोडिंग में इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (आईसीडी), करंट प्रोसीजरल टर्मिनोलॉजी (सीपीटी) और हैल्थकेयर कॉमन प्रोसीजर कोडिंग सिस्टम(एचसीपीसीएस) जैसी कोडिंग सिस्टम का ज्ञान जरूरी है।

विज्ञप्ति और ध्यान

  • मेडिकल कोडिंग में एक छोटी सी गलती भी बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है, इसलिए एक कोडर को बहुत ध्यान से काम करना होता है।

कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर की समझ

  • मेडिकल कोडिंग के लिए कम्प्यूटर और संबंधित सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है।
  • कोडिंग सॉफ्टवेयर जैसे 3एम और ऑप्टम360 का इस्तेमाल होता है, इसलिए इनका ज्ञान होना चाहिए।

समझ और विश्लेषण क्षमता

मेडिकल कोडर को मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड को समझकर सही कोड्स का चयन करना होता है। इसके लिए एनालिटिकल स्किल्स की जरूरत होती है।

इस फील्ड में ऐसे बढ़ाएं कदम

अगर आप मेडिकल कोडिंग में करियर बनाने के इच्छुक हैं तो आपको इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा…

शैक्षिक योग्यता

  • मेडिकल कोडिंग में करियर बनाने के लिए आपको कम से कम 12वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करनी होती है।
  • मेडिकल क्षेत्र से संबंधित डिग्री (जैसे बायोलॉजी) और मेडिकल कोडिंग सर्टिफिकेट कोर्स भी मददगार हो सकते हैं।

कोर्स और ट्रेनिंग

मेडिकल कोडिंग के लिए कई संस्थान विशेष कोर्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स कराते हैं। कुछ जरूरी कोर्स जैसे…

  • मेडिकल कोडिंग सर्टिफिकेट कोर्स: यह कोर्स आपको मेडिकल कोडिंग की बेसिक जानकारी देता है, जिसमें आप स्वास्थ्य सेवाओं को मानक कोड्स में बदलने की प्रक्रिया सीखते हैं।
  • मेडिकल टर्मिनोलॉजी कोर्स: इस कोर्स में आप मेडिकल शब्दावली (जैसे रोगों, उपचारों और दवाओं के नाम) को समझने और उपयोग करने की जानकारी प्राप्त करते हैं।
  • आईसीडी और सीपीटी कोडिंग कोर्स: आईसीडी (इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज) और सीपीटी (करंट प्रोसीजरल टर्मिनोलॉजी) कोडिंग कोर्स में, आप इन मानक कोडिंग सिस्टम्स की पढ़ाई करते हैं, जो मेडिकल डाटा को व्यवस्थित और वर्गीकृत करते हैं।

प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन

मेडिकल कोडिंग में करियर बनाने के लिए आपको सर्टिफिकेशन की जरूरत हो सकती है। अमरीकन अकेडमी ऑफ प्रोफेशनल कोडर्स (एएपीसी) और अमरीकन हैल्थ इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट एसोसिएशन (एएचआईएमए) जैसी संस्थाएं कोडिंग में सर्टिफिकेशन देती हैं।

इंटर्नशिप

यदि आपने कोडिंग का कोर्स किया है, तो इंटर्नशिप के समय आप प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस सीख सकते हैं। यह अनुभव आपकी नौकरी की संभावनाओं को बढ़ाता है।

शानदार विकल्प

मेडिकल कोडिंग में कई प्रकार की जॉब्स हैं और हर एक की अपनी फीचर्स, जिम्मेदारियां और सैलरी स्ट्रक्चर होती हैं। यहां हम कुछ जॉब्स के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें आप मेडिकल कोडिंग में कर सकते हैं…

1. मेडिकल कोडर

मेडिकल कोडर का काम मरीजों के चिकित्सा रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी को सही कोड में बदलना होता है। यह कोड मरीज के ट्रीटमेंट्स, टेस्ट्स, ड्रग्स और अन्य मेडिकल प्रोसीजर से संबंधित होते हैं। कोडिंग के समय इन कोड्स का सही तरीके से चयन करना बहुत जरूरी होता है, ताकि बाद में स्वास्थ्य बीमा कंपनियां और अस्पताल सही क्लेम प्रोसेस कर सकें।

  • सैलरी (शुरुआत में): 20,000-30,000 रुपए प्रतिमाह
  • एक्सपेरिएंस्ड कोडर: 40,000-60,000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: अस्पताल, क्लीनिक, हैल्थकेयर आउटसोर्सिंग कंपनियां

2. मेडिकल बिलिंग

मेडिकल बिलिंग का काम मेडिकल कोडिंग के साथ जुड़ा हुआ होता है। मेडिकल बिलिंग स्पेशलिस्ट मेडिकल प्रोसीजर और ट्रीटमेंट्स के लिए बिल तैयार करते हैं और हैल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के साथ क्लेम प्रोसेस करते हैं। इस नौकरी में आपको डाक्यूमेंट्स की तैयारी, क्लेम फाइलिंग और पेमेंट रिसीप्ट जैसे काम करने होते हैं।

  • सैलरी (शुरुआत में): 25,000 – 35,000 रुपए प्रतिमाह
  • एक्सपेरिएंस्ड बिलर: 45,000 – 70,000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: अस्पताल, क्लीनिक, हैल्थ इंश्योरेंस कंपनियां, मेडिकल प्रैक्टिस

3. कोडिंग ऑडिटर

कोडिंग ऑडिटर को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी मेडिकल कोड सही तरीके से लागू किए गए हैं और ऑडिटिंग प्रोसेसेज में किसी भी तरह की गलती नहीं है। वे कोडिंग की सटीकता की समीक्षा करते हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि सभी बिलिंग और क्लेम सही तरीके से फाइल किए गए हैं या नहीं।

  • सैलरी (शुरुआत में): 40,000-50,000 रुपए प्रतिमाह
  • एक्सपेरिएंस्ड ऑडिटर: 60,000-100000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: अस्पताल, हैल्थकेयर संगठन, हैल्थ इंश्योरेंस कंपनियां

4. मेडिकल कोडिंग स्पेशलिस्ट

यह एक हाई लेवल का कोडिंग प्रोफेशनल होता है जो विशेष रूप से मेडिकल प्रोसीजर, टेस्ट्स और जटिल मामलों के कोडिंग में माहिर होता है। इस नौकरी में काम करने वाले प्रोफेशनल वेरियस मेडिकल कंडीशंस और प्रोसेसेज के लिए एक्सपर्ट कोड देते हैं और कॉम्प्लेक्स मेडिकल डाटा की एक्सप्लनेशन करते हैं।

  • सैलरी (शुरुआत में): 35,000 – 50,000 रुपए प्रतिमाह
  • एक्सपेरिएंस्ड स्पेशलिस्ट: 70,000 – 1,00,000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: बड़े अस्पताल, मेडिकल रिसर्च संस्थान, हैल्थ इंश्योरेंस कंपनियां

5. हैल्थ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजिस्ट

हैल्थ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजिस्ट का काम हैल्थकेयर डाटा को ऑर्गेनाइज्ड और सेफ करना होता है। इसमें आपको मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से व्यवस्थित करना और उनकी गोपनीयता को बनाए रखना होता है। साथ ही, हैल्थकेयर सॉफ्टवेयर के जरिए इन सूचनाओं का मैनेजमेंट करना भी इस नौकरी का हिस्सा होता है।

  • सैलरी (शुरुआत में): 30,000-40,000 रुपए प्रतिमाह
  • एक्सपेरिएंस्ड टेक्नोलॉजिस्ट: 50,000 – 80,000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: अस्पताल, क्लीनिक, हैल्थकेयर आईटी कंपनियां

6. ऑनलाइन मेडिकल कोडर

ऑनलाइन मेडिकल कोडिंग में, आपको घर से काम करने का अवसर मिलता है। इस जॉब में आप अस्पतालों या अन्य हैल्थकेयर संस्थाओं के लिए मेडिकल रिकॉर्ड कोडिंग करते हैं। इस जॉब में आपको अपने कम्प्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल करके मेडिकल रिकॉड्र्स और प्रक्रियाओं का सही तरीके से कोडिंग करना होता है।

  • सैलरी (शुरुआत में): 20,000 – 30,000 रुपए प्रतिमाह
  • अनुभवी ऑनलाइन कोडर: 40,000 – 60,000 रुपए प्रतिमाह
  • काम करने के स्थान: वर्क फ्रॉम होम, हैल्थकेयर कंपनियां, क्लीनिक्स

मेडिकल कोडिंग के बेनिफिट्स

  • सुरक्षित और स्थिर करियर: हैल्थकेयर इंडस्ट्री में हमेशा मेडिकल कोडर्स की जरूरत रहती है।
  • हाई सैलरी की संभावना: मेडिकल कोडिंग में मेहनत और अनुभव के आधार पर अच्छा वेतन मिल सकता है।
  • लचीलापन: कई मेडिकल कोडिंग जॉब्स में वर्क फ्रॉम होम का विकल्प भी होता है।
  • विकास के अवसर: मेडिकल कोडिंग में विशेषज्ञ बनने के बाद आप उच्च स्तर की जिम्मेदारियों को संभाल सकते हैं।
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