मिंजो नी पुलदा हल्दूण कविता ने किया भाव विभोर, ज्वाली के साईं पैलेस में सजा साहित्यकारों का मंच, शंकर सन्याल, पंकज दर्शी, सुरेश कौंडल और कपिल मेहरा ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं
ज्वाली – अनिल छांगू
कांगड़ा कला संगम के साहित्यकारों एवं कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी कला को उजागर किया।
उपमंडल ज्वाली के साईं पैलेस में रविवार को हुई कांगड़ा कला संगम की बैठक पूर्व प्रधान शंकर सन्याल की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर साहित्यकार एवं कवि शंकर सन्याल ने हल्दूण की याद पर अपनी कविता पेश की।
वहीं, साहित्यकार पूर्ण चंद ने मिंजो नी पुलदे कविता के माध्यम से सबका मन मोह लिया। लेखक एवं साहित्यकार पंकज दर्शी ने अपनी पुस्तक धीया दा ब्याह के कुछ अंश पढ़कर सुनाएं।
साहित्यकार सुरेश कौंडल ने बाथू की लड़ी पर अपनी कविता कांगड़े दे मत्थे दा बिंदलू सुनाई।
वहीं, लेखक एवं साहित्यकार कपिल मेहरा ने भी अपनी कविता कांगड़ी धाम सुनाई। इसके साथ ही पौंग बांध विस्थापितों पर पंकज दर्शी की फिल्म पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
इस मौके पर कांगड़ा कला संगम के तहत साहित्यक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय साहित्यकारों की रचनाओं एवं पुस्तकों के प्रकाशन के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्णय लिया गया।
संगम के पूर्व प्रधान शंकर सन्याल ने कहा कि कांगड़ा कला मंच अपनी मैगजीन भी प्रकाशित करेगा और इसमें स्थानीय लेखकों, कवियों व साहित्यकारों के लेखन को तरजीह दी जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि कांगड़ा कला संगम के विस्तार के लिए नई रूपरेखा तय की जाएगी और इसमें जिला कांगड़ा के कवियों, लेखकों एवं साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा।