गोवर्द्धन पर्वत को उंगली पर उठा भगवान कृष्ण ने की थी बृजवासियों की रक्षा
बीबीएन – रजनीश ठाकुर
बद्दी के शिवालिक नगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा का रसपान करवाते हुए साध्वी ऋषि गिरी ने गोवर्धन पर्वत ओर 56 भोगों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा के भगवान न द्वापर युग ओर न ही आज कलयुग में भक्त की रक्षा से पीछे हटते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासियों की रक्षा के लिए दुनिया के सबसे बड़े गोवर्द्धन पर्वत को सात दिन तक उंगली पर उठाकर रखा था। उन्होंने उस समय इंद्र के प्रकोप से लोगों को बचाया था ओर आज भी भगवान इस सृष्टि में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। साध्वी ने कहा के जो उस परम पिता परमात्मा का हो जाता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
उन्होंने 56 भोग के गणित पर भी बड़े विस्तार से प्रकाश डाला और बताया के क्यों भगवान को 56 भोग लगाए जाते है। साध्वी ऋषि गिरी ने बताया के 6 रस व स्वाद जिसमें कड़वा, तीखा, कसैला, अमल, नमकीन व मीठा होता है। जिससे 56 प्रकार के व्यंजन बनते हैं। 56 भोग का अर्थ है 6 रसों से बना भोजन जिसे हम भगवान को समर्पित करते है।
उन्होंने कहा के हम जो भी खाते है वह भगवान की देन है इसलिए घर में भी जो भी बना हो या जो भी सात्विक चीज़ें हम लाते हैं उसका भोग भगवान को जरूर लगाना चाहिए।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष अच्छर पाल कौशल, बीडीसी भटौलीकलां पुष्पेन्द्र कौर, आशा राजपूत, चंचल शर्मा, सोहन रघुवंशी, राजेश भारद्वाज, सत पाल शर्मा, कश्मीरी लाल, अमन कुमार अशोक कुमार, मोहित कुमार, सुनील, नरेंद्र, अप्पू, अमित गर्ग सागर, रोहताश, ओम शर्मा, पवन शर्मा,बाल कृष्ण, भागवंती देवी, पुष्पा देवी, प्रेमी देवी, संतोष कौशक, देवी शर्मा, कृषि देवी, अनु गुप्ता, निर्मला देवी, प्रवीण शर्मा, सुनीता नेगी तथा भारी संख्या भक्तगण उपस्थित रहे।