हिमखबर डेस्क
हिमाचल में मानसून की वर्षा होनी आरंभ हो गई है और बेशक मानसून का मौसम चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत देता है लेकिन बारिश का मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां भी लेकर आता है। बरसात के मौसम में मानव शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है जिसके कारण लोग बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
इसके कारण डेंगू, मलेरिया, डायरिया, उल्टी, पेट दर्द और संक्रमण जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मौसम के अनुसार खानपान में बदलाव करना बहुत जरूरी है।
जानकारी के अनुसार बरसात में स्किन से लेकर पाचन तक की बीमारियां परेशान करती हैं। स्किन पर एलर्जी, डेंगू फीवर, मलेरिया, फ्लू इंफैक्शन, गैस्ट्रोइंटाइटिस, टाइफायड, हैपेटाइटिस ए और डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की बीमारी फैल सकती है।
ज्यादातर बीमारियां मच्छरों और गंदगी से फैलती हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और टाइफायड जैसी घातक बीमारियां बरसात के मौसम में आम हैं और इनमें से लगभग सभी में बुखार, कमजोरी और शरीर में दर्द जैसे कुछ सामान्य लक्षण होते हैं।
बारिश के मौसम में क्या न खाएं
हरी पत्तेदार सब्जियां न खाएं :
हरी पत्तेदार सब्जियों को बहुत पौष्टिक और सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है लेकिन बरसात के मौसम में पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए। इस मौसम का तापमान और आद्र्रता हरी पत्तेदार सब्जियों पर बैक्टीरिया और फंगस के विकास के लिए अनुकूल होती है।
इस वजह से हरी सब्जियों से पेट में संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए पालक, मैथी के पत्ते, पत्तागोभी, फूलगोभी जैसी सब्जियों को बारिशों में बिल्कुल न खाएं। इसके बजाए करेला, घिया, तोरी और टिंडा जैसी सब्जियां खाने में शामिल करें।
मांसाहार से रहें दूर :
बरसात में नमी होने के कारण मांसाहार जल्दी खराब हो जाते हैं। बरसाती मौसम मछलियों के लिए प्रजनन का समय होता है, इसलिए उन्हें नहीं खाना चाहिए। अन्य मांसाहार जैसे चिकन, मटन जल्दी खराब भी हो जाते हैं, इसलिए इन दिनों में मांसाहार से पूरी तरह दूर रहें। यदि मांसाहार करना है तो बिल्कुल ताजा इस्तेमाल करें और अच्छे से पकाकर ही खाएं।