बच्चों ने आर्टिफिकल इंटेलिजेंस और चैट जीटीपी के फायदे और नुकसानों की प्राप्त की जानकारीं
बिलासपुर – सुभाष चंदेल
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला औहर, जिला बिलासपुर में सात दिवसीय एनएसएस शिविर का दूसरा दिन रहा। बच्चों ने दूसरे दिन की शुरुआत योग और व्यायाम से की। इसके उपरांत बच्चों ने स्कूल परिसर में क्यारियों की साफ सफाई की। दूसरे दिन रिसोर्स पर्सन के रूप में अब्दुल मजीद प्रवक्ता कंप्यूटर साइंस ने शिरकत की।
कार्यक्रम अधिकारी सुनील वर्मा और जीवन लता ने उनका स्वागत किया। अब्दुल मजीद ने बच्चों को आर्टिफिकल इंटेलिजेंस और चैट जीटीपी के फायदे और नुकसानों के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि जमा दो के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स को यह पता नहीं होता कि उन्हें आगे भविष्य में क्या करना है, अधिकतर स्टूडेंट्स के पास 3-4 ऑप्शन होती हैं, जिनमें छात्रों को लगता है कि इन्हीं लाइन में जाना है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छात्रों को जब बताया जाएगा और वे क्या स्टडी करें और किस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं उनके लिए फायदेमंद रहेंगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए साइबर सिक्योरिटी की भी जरूरत है, जिसके बारे में स्टूडेंटस को कोर्सिस के माध्यम से बताया जा रहा है।
एआई को हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं, जिसका मतलब है बनावटी यानी कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कम्प्यूटर साइंस की एक एडवांस्ड शाखा है। इसमें एक मशीन को कम्प्यूटर प्रोगामिंग के जरिए इतना बुद्धिमान बनाने की कोशिश की जाती है, जिससे वो इंसानों की तरह सोच-समझ सके और फैसले ले सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने की कोशिश होती है जिसके आधार पर एक इंसान का दिमाग काम करता है। इसके अलावा चैट जीपीटी नाम का ए आई टूल भी काफी चर्चा में है।
चैट जीपीटी एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां आप कोई सवाल पूछते हैं तो उसका लिखित जवाब आपको मिलता है। अगर आपको किसी विषय पर 400 शब्दों का निबंध लिखना हो तो ये आपको चैट जीपीटी तुरंत लिखकर दे देगा। बच्चे इस टूल का इस्तेमाल अपना होमवर्क करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोग तो ये भी मानते हैं कि ये गूगल का रिप्लेसमेंट है।
भारत में एआई के विकास की अपार संभावनाए हैं और इसका लगातार इस्तेमाल भी हो रहा है। अभी हाल ही में एआई आधारित फेस रिकॉग्नेशन सॉफ्टवेयर ने यूपी में चल रही एक परीक्षा में कई नकलचियों को पकड़ा है। देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां एआई का कारगर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मौकेबपर कुलदीप सिंह व अन्य अध्यापक उपस्थित रहे।