फास्ट फूड कैंसर का प्रमुख कारण, जानिए कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमित राणा की जुबानी

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हिमखबर डेस्क 

हाईड्रोकार्बन का बढ़ता दखल, अत्यधिक पेस्टिसाइड का उपयोग, फास्ट फूड पर बढ़ती निर्भरता विभिन्न प्रकार के कैंसर का प्रमुख कारण बनकर उभरा है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय टांडा के कैंसर रोग विशेषज्ञ अमित राणा ने कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे प्रमुख कारकों के बारे बताया कि खान-पान, फास्ट फूड का बढ़ता प्रचलन व खाद्यान्नों में अत्यधिक पेस्टिसाइड के उपयोग के कारण विभिन्न प्रकार का कैंसर लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।

उन्होंने बताया कि निदान के लिए अत्यधिक उपकरणों तथा सीटी स्कैन, एमआरआई, पैट स्कैन जैसी टैस्ट सुविधाओं की उपलब्धता के कारण भी कैंसर के लगभग 10 से 20 प्रतिशत अनडिटैक्टिड केस भी सामने आ रहे हैं।

रक्त से संबंधित कैंसर

हेमेटोलॉजी के अंतर्गत ब्लड से संबंधित कैंसर आते हैं जिसमें रैड ब्लड सैल, व्हाइट ब्लड सैल प्लेटलेट्स से संबंधित समस्याएं आती हैं।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कैंसर में शरीर में किसी प्रकार की कोई ठोस गांठ आदि नहीं उभरती है परंतु संबंधित सैल अपना कार्य पूरा नहीं कर पाते हैं जिस कारण बोन मैरो में सैल नहीं बन पाते व एनीमिया जैसी समस्याएं आती हैं।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार का रोग अनुवांशिकी भी होता है परंतु यह 5 से 10 प्रतिशत ही पाया जाता है जबकि 90 प्रतिशत कारण रेडिएशन पेस्टिसाइड के प्रति एक्सपोजर के कारण होता है।

क्या हैं सावधानियां

डॉ. अमित राणा के अनुसार पुराने समय में खेतीबाड़ी में प्रमुखता से गोबर का उपयोग किया जाता था तो उत्पादन बढ़ाने के लिए तथा फसल रोगों को कम करने के लिए कीटनाशकों तथा पेस्टिसाइड का उपयोग अधिक हो रहा है।

ऐसे में प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाना होगा, वहीं किचन गार्डनिंग के माध्यम से बिना पेस्टिसाइड के सब्जियां आदि का उत्पादन कर रसोई में उपयोग को बढ़ावा देना होगा।

फास्ट फूड के कारण बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है जो कैंसर का कारण बन रहा है। नियमित रूप से व्यायाम, योग तथा पानी की मात्रा को बढ़ावा देना तथा जीवन शैली में बदलाव लाकर कैंसर की रोकथाम की जा सकती है।

समय पर स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण

डॉ. अमित राणा ने बताया कि कैंसर की पहचान के लिए स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत लंग कैंसर के लिए लो डैंसिटी सीटी, प्रोस्टेट कैंसर के लिए पीएसए, ब्रैस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राफी जैसे टैस्ट उपलब्ध हैं।

उनके अनुसार 40 वर्ष से अधिक आयु की प्रत्येक महिला को मैमोग्राफी करवानी चाहिए तथा 2 वर्ष के पश्चात यह टैस्ट पुनः करवाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि यदि कोई बुखार एक महीने की अवधि से निरंतर आ रहा है। किसी विशेष भाग में निरंतर दर्द रह रहा है या फिर निरंतर डायरिया की समस्या हो, उपचार के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है, भोजन निगलने में परेशानी आ रही है, आवाज में परिवर्तन हो रहा है तो तत्काल टैस्ट करवाने चहिए।

सही विशेषज्ञ डॉक्टर का चयन आवश्यक

डॉ. राणा ने बताया कि कैंसर की कैंसर सर्जरी, कैंसर रेडियोग्राफ तथा कैंसर कीमोथैरेपी अलग-अलग विशेषज्ञताएं हैं। ऐसे में रोग के अनुसार संबंधित विशेषज्ञ का चयन कर उपचार करवाया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया झोलाछाप लोगों के चंगुल में फंसने से कैंसर की स्टेज बढ़ जाती है जिस कारण उपचार का खर्चा भी बढ़ता है तथा परेशानियां भी बढ़ती हैं। ऐसे में सही समय पर सही क्वालिफाइड चिकित्सक का चयन आवश्यक है।

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