चम्बा – भूषण गुरुंग
आज बकलोह के चिलामा के सिलहिल की पहाड़ी में स्थित सब से प्राचीन काली माता मंदिर में काली माता मंदिर कमैटी की औऱ से 137 वा स्थापना दिवस गोरखा सभा के सभापति विजय गुरूंग के अध्यक्षता में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया।
सुंबह मंदिर परिसर मे बकलोह के आसपास के क्षेत्र के लोगो की अगुवाई में पंडित दामोदर औऱ मंदिर के पंडित राजकुमार शर्मा के द्वारा हवन पूजन किया गया। गोरखा सभा के सभापति व उपसभापति विजय गुरूंग और दिलीप थापा के द्वारा माता काली औऱ भैरव जी के साथ सभी देवी देवताओं को गंगाजल के साथ पंच स्नान करवाने के बाद नुतन वस्त्र पहनाये गया। औऱ चारो कोने मे मंदिर परिसर में ध्वजारोहण किया गया।
उसके बाद सभी देवी देवताओं को प्रसाद का भोग लगाया गया। तत्पशचात सभी महिला मंडलों के द्वारा भजन कीर्तन किया गया। उसके बाद मंदिर कमेटी की सदस्यों के द्वारा ब्रामण और कंजक पूजन किया गया। उसके बाद सभी के लिए मंदिर परिसर मे विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था।
क्या है मंदिर की मान्यता
गौर हो की इस मंदिर का निर्माण 11अगस्त 1886 में हुआ था। जब यहाँ पर 14 गोरखा राइफल का सेंटर हुआ करता था। तो 2/4 जी आर के सुबेदार मेजर कुलपति गुरूंग को माता काली ने सपने में आकर बताया कि मेरी पिड़ी को चिलामा के सिलहिल के पास स्थापना की जाए।
तभी उन्होंने आज ही के दिन माता काली की पिंडी इस स्थान में स्थापित की थी। जो आज भी उसी जगह पिंडी के रूप मे स्थापित है। माता की इतनी शक्ति है कि आज भी 20 अप्रैल के दिन चतुर्थ गोरखा राइफल 15 आर आर और 14 जी टी सी के अधिकारी जेसीओस और जवान लोग माता की पूजा करने के लिए ज़रूर पहुचते है।