अतुल उनियाल- मुनि की रेती ढालवाला
आज दिनांक 2 अक्टूबर 2021 (शनिवार) को पुष्पा वडेरा सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज, ढालवाला, ऋषिकेश में सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की 151 वीं जयन्ती का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस उपलक्ष पर प्रातः 8:00 बजे विद्यालय परिसर में ध्वजारोहण किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय बड़ोनी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ कर किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के छात्रों के द्वारा कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्ग में भाषण एवं कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
जिसमें कनिष्ठ वर्ग भाषण प्रतियोगिता में अमन कुमार, अनीश जोशी , अंशुमान कुकरेती एवं दीपक ठाकुर (संयुक्त रुप से) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। वरिष्ठ वर्ग भाषण प्रतियोगिता में निमेष कण्डारी, आयुष सिंह नेगी , हरीश एवं ध्रुव उपाध्याय (संयुक्त रुप से) क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया।
कनिष्ठ वर्ग कला प्रतियोगिता में हार्दिक गुसाईं, गौरव खण्डुडी, सचिन जोशी ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। वरिष्ठ वर्ग कला प्रतियोगिता में सौरभ रावत, रोशन कुमार, सत्यम यादव ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया।
विद्यालय के आचार्य सुनील राजपूत ने इस सुअवसर पर छात्रों के समक्ष दिव्य विभुतियों के जीवन पर आधारित प्रसंगों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में उपस्थित प्रोफेसर (डाॅ0) प्रताप सिंह राणा (डीन भगवंत ग्लोबल विश्वविद्यालय, कोटद्वार) ने छात्रों को संदेश दिया कि लाल बहादुर शास्त्री एवं महात्मा गांधी ने विपरीत परिस्थितियों में अपने को सिद्ध किया।
हमें इन दिव्य विभूतियों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय बड़ोनी ने संदेश दिया कि महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से प्रेरणा लेते हुए छात्र सद्मार्ग एवं अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करे। ये विद्या भारती का प्रभाव है कि आज अनेक महापुरुषों एवं क्रान्तिकारी व्यक्तित्वों को हम स्मरण कर पा रहे है।
इस कार्यक्रम में दिनेश सकलानी, बीरेन्द्र किशोर गौड, नवनीश शर्मा,, देवराज बिष्ट, प्रभाकर भट्ट, सुनील राजपूत, बिशन सिंह नेगी, आशीष चैहान, दिवीश्ंाकर नैथानी, नरेश पुंडीर, जयेन्द्र चमोली, विपिन डोभाल, रजत सेमवाल, सुबोध डोभाल, कीर्ति नौटियाल, विक्रमा देवी, रमेश गुन्सोला आदि का सक्रिय योगदान रहा।