नूरपुर- देवांश राजपूत
फोरलेन प्रभावितों के प्रति हिमाचल सरकार के उदासीन रवैया के चलते फोरलेन प्रभावित खुद को बहुत अपमानित एवं असहाय और प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं।
यह बात हिमाचल मानव अधिकार लोक बॉडी प्रांत अध्यक्ष राजेश पठानिया ने कही। उन्होंने कहा कि एक और जहां भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी छवि जनता हित के कार्यों के लिए पूरे विश्व में विश्व स्तरीय नेता के रूप में बनाई है, वहीं राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश अपने साथ-साथ उनकी छवि को भी धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
एक समाचार पत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह कहना कि मेरा 4 वर्ष का कार्यकाल पिछले 40 वर्ष के कार्यकाल से बेहतर है। अपने आप में हास्यास्पद है। क्योंकि ऐसी कोई भी बड़ी उपलब्धि आपने हिमाचल को नहीं दी है।
हिमाचल को सबसे बड़ी सौगात सबसे बड़े और महंगे प्रोजेक्ट फोरलेन की थी। जिसमें आप की नीतियों ने जनता का बंटाधार कर दिया। ना आपके पास इन प्रोजेक्टों को आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस नीति है, ना कोई कार्य प्रणाली है और ना ही आपकी आंतरिक इच्छा है। क्योंकि पिछले 4 वर्षों से बाकियों का तो पता नहीं किंतु हिमाचल सरकार ने भू अधिग्रहण प्रभावितों को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
करीब एक लाख परिवार जो कि सीधे भू अधिग्रहण की चपेट में हैं अपना दुखड़ा सरकार के आगे रो रहे हैं। परंतु हिमाचल सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। 4 साल बीत जाने पर इस मामले को एनएच प्राधिकरण के समक्ष उठाने की बात कर रहे हैं। जनता आपके इस तरह के बयानों से बहुत आहत होती है।
पठानिया ने कहा कि जनता यह जान चुकी है कि आप हिमाचल जनता के हित में कोई भी फैसला लेने की कोशिश नहीं करते हैं और ना ही आप चाहते हैं कि हिमाचल के लोगों का भला हो और ना ही इसमें आप के विधायक कोई दिलचस्पी रखते हैं। क्योंकि जहां-जहां भी फोरलेन पूरे हिमाचल से गुजर रही है वहां वहां के विधायकों ने सड़क किनारे बसे लोगों कि पिछले 4 वर्ष से नींदे उड़ा के रखी हैं। ना बेचैन से खा रहे हैं ना वे पी रहे हैं। दिन रात सरकार को कोसने के अलावा कोई कार्य नहीं।
क्योंकि आपकी सरकार की नाक के नीचे कब हाईवे को लिंक रोड दर्शा दिया ना आपको पता चला ना ही आपके विधायकों को और यह जनता अच्छे से समझ चुकी है। यह सब राज्य सरकार की देखरेख में हुआ है। क्योंकि हमारे पास केंद्र ने लिखित में दिया है की भू अधिग्रहण का मुआवजा राज्य सरकार तय करती है। अब यह राज्य सरकार की मर्जी है कि वह आपको क्या देना चाहती है।
परंतु आपने जनता को उलझाने के लिए एक लाख परिवार को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया और उनकी बहुमूल्य जमीनों के रेट कौड़ियों में लगाकर और एक ही जमीन के तीन-तीन रेट बनाकर जनता के साथ भद्दा मजाक किया है और आपको अभी तक यह समझ नहीं आई कि आपकी हिमाचल की जनता क्या चाहती है।
हिमाचल की जमीनों के रेट क्या है और किसी को जब उजाडा जाता है तो उसका मुआवजा क्या होता है। जबकि केंद्र द्वारा बनाया हुआ भू अधिग्रहण कानून 2013 आप उसे लागू नहीं कर रहे। किसी से आपकी मानसिक स्थिति को जनता भाप रही है। जब कि आपकी हिमाचल सरकार ने अपने दृष्टि पत्र यानी घोषणा पत्र मैं लिखित में दिया था कि हमारी सरकार आने पर आप चार गुना मुआवजा मार्केट रेट के आधार पर देंगे।
परंतु आप सत्ता में आते ही उस वायदे को भूल कर जनता को कोई जाने में लगे रहे और जनता का बहुमूल्य समय 4 वर्ष बर्बाद कर दिया। जिसे आप अपनी उपलब्धि बताते हैं।
पठानिया ने कहा कि हिमाचल सरकार केवल फोरलेन प्रभावितों के साथ ही अन्याय नहीं कर रही उनकी किसी भी विभाग के कर्मचारियों के प्रति यही नीति है। चाहे वह करुणामूलक हो चाहे वह आउट सोर्स कर्मचारी हो। चाहे वह पुलिस वाले हो सरकार का रवैया एक जैसा है।
राजेश पठानिया ने कहा कि अभी पिछले कल मुझे हिमाचल ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी मिले। उन्होंने बताया कि हमें पता नहीं कि हमें किस आधार पर बैंकों में रखा गया है। ना हमारे लिए कोई पॉलिसी है ना कोई स्पष्ट नीति है। कब हम पक्के होंगे या कब हमें निकाल दिया जाएगा। हमें कुछ भी पता नहीं। जबकि हम लोग पीएनबी के अंतर्गत आते हैं और पीएनबी की पॉलिसी अलग है और हमारी अलग।उन्हें समझ नहीं आ रही कि अपनी बात सरकार के समक्ष कैसे रखें।
राजेश पठानिया ने कहा की सरकार विशेषकर भू अधिग्रहण प्रभावितों का जो कि एक लाख के करीब परिवार भू अधिग्रहण की चपेट में हैं उन का विश्वास हिमाचल की मौजूदा सरकार से पूर्णता उठ चुका है। उन्हें पता है कि हिमाचल सरकार उनके साथ हित उनके जान माल की सुरक्षा कर पाने में और असहज एवं अक्षम है। इसलिए उनकी आशाएं हिमाचल राज्य सरकार से धीरे-धीरे समाप्त हो चुकी हैं।
अब संपूर्ण हिमाचल के भू अधिग्रहण पीड़ित इस सरकार को सत्ता से बाहर करना चाहते हैं या फिर इनके नेताओं को बदलना चाहते हैं। ताकि अच्छे और काबिल लोग चुनकर आए और जनता की समस्याओं को सुलझाएं।