शिमला – जसपाल ठाकुर
एक लड़का…2002 में रंगमंच का कलाकार था। तब ये नहीं सोचा गया होगा कि 15 साल बाद वो समूचे भारत में टैलेंट का पारखी बन जाएगा।
आइए आपको मिलवाते हैं, लाखों की प्रतिभाओं की कतार से चंद सुपर टैलेंट को चुनकर ऑनस्क्रीन लाने के महारथी से…
ये कहानी है…पहाड़ी बालक सोहित उनियाल की।
आप रोजाना टीवी पर टैलेंट से जुुड़े एक से बढ़कर एक रियल्टी शो देखते होंगे। सोहित उन शोज के पर्दे के पीछे के अनसंग हीरो हैं, जिन्हें देश का सुपर टैलेंट तो जानता है, लेकिन आम दर्शक नहीं जानते।
देश में फ्रेमस प्रोडक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ( Frames Production Company Pvt Ltd) वो सबसे बड़ा प्लेटफार्म है, जो इन शोज की प्रोडक्शन करता है।
इसी कंपनी में सोहित उनियाल करीब 5 साल से टैलेंट हैड के तौर पर जिम्मेेदारी को निभा रहे हैं।
ये ही वो शख्स हैं, जिन्होंने हिमाचल पुलिस के बैंड द हारमनी ऑफ़ पाइन्स (The Harmony of the Pines) को बुलंदियों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही अब इस बैंड का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्डस’ में भी दर्ज करवाने के लिए प्रयासरत हैं।
मूलतः उत्तराखंड में टिहरी डैम के नजदीक चंबा के रहने वाले सोहित उनियाल (37) का दिल पहाड़ों के लिए धड़कता है।
यही कारण है कि उत्तर भारत में कुछ प्रोजैक्ट शुरू करने की तैयारी कर चुके हैं।
रंगमंच में अपना जौहर दिखाने के बाद 2005 से 2007 में आईआईएमएस देहरादून से एमबीए की पढ़ाई की। रिलायंस कम्युनिकेशन्स में नौकरी भी मिल गई। मेरठ में पोस्टिंग हुई।
अचानक ही एक रेफरेंस मिल गया। सारेगामापा के सूत्रधार गजेंद्र सिंह से संपर्क हुआ तो श्री साईं बाबा प्रोडक्शन में बिजनेस मैनेजर के तौर पर तैनाती मिल गई।
सफर चलता रहा, 5 साल पहले टैलेंट हैड बनकर अपनी काबिलियत का डंका बजाया। इस समय सोनी टीवी पर ‘इंडियाज बेस्ट डांसर’ व ‘सुपर डांसर’ के लिए कार्य कर रहे हैं।
कलर्स टीवी (Colors TV) पर ‘हुनरबाज’देश की शान ( Hunarbaaz: Desh Ki Shaan) के दूसरे सीजन की भी तैयारी कर रहे हैं।
साथ ही ‘डांस दीवाने जूनियर्स’( Dance Deewane Juniors) की भी रूपरेखा तैयार कर दी है।
आपको बता दें कि देश के करीब 80 प्रतिशत रियलिटी शोज को फ्रेमस प्राइवेट कंपनी लिमिटेड ही बना रही है।
मीडिया से बेबाक बातचीत में टैलेंट हैड सोहित उनियाल का कहना था कि पूरे देश के सुपर टैलेंट को छंटनी कर स्क्रीन तक लाना आसान नहीं होता। लाखों में से कुछ को ही ऑडिशन में सफलता मिलती है।
एक सवाल के जवाब में सोहित का ये भी कहना था कि कई बार आपको एक से एक बढ़कर टैलेंट को बाहर निकलते देख मायूसी भी होती है।
अभिभावकों को सोहित ने एक टिप्स भी मीडिया के माध्यम से दिया है। उनका कहना था कि अगर आपके बच्चे में किसी तरह का टैलेंट है तो उसे निखारने के लिए एक्सपर्ट अवश्य होना चाहिए, क्योंकि नेशनल लैवल पर एक से बढ़कर एक टैलेंट सामने आता है।
ऐसा भी देखने को मिलता है कि पेरेंटस नन्हीं उम्र में ही बच्चों के टैलेंट को तराशने में लग जाते हैं,लेकिन एक्सपर्ट्स की कमी रह जाती है।
हिमाचल पुलिस से क्यों जुड़ाव….
दरअसल, जब हिमाचल पुलिस का बैंड “हुनरबाज-देश की शान” के मंच पर पहुंचा तो सोहित उनियाल से मुलाकात तो लाजमी थी।
सोहित उनियाल के पिता आरपी उनियाल उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से बतौर रेडियो मेंटेनेंस ऑफिसर रिटायर हुए थे। पिता की पृष्ठभूमि के कारण हिमाचल पुलिस बैंड से रिश्ता बन गया।
एक सवाल के जवाब में सोहित ने कहा कि कौन विजेता बनेगा, इसका तो खुद भी अंदाजा नहीं होता। सब कुछ वोटिंग पैटर्न पर ही निर्भर करता है।
हां, अगर म्यूजिक कैटेगरी होती तो निश्चित तौर पर हिमाचल पुलिस बैंड ही विजेता बनता। उन्होंने माना कि पुलिस बैंड के साथ पिता की पृष्ठभूमि के कारण गहरा लगाव है।
2012 में अपनी कंपनी….
देश भर के हुनर के पारखी सोहित उनियाल ने 2012 में एक मकसद से यूएनएल एंटरटेनमेंट ( UNL Entertainment) कंपनी भी स्थापित की है।
कंपनी को बनाने के पीछे मकसद है कि वो उत्तर भारत खासकर हिमाचल व उत्तराखंड के टैलेंट को तलाश कर दुनिया के सामने ला सकें।
उनका मानना है कि आज भी देश के कोने-कोने में ऐसी प्रतिभाएं छिपी हैं, जो रियलिटी शो तक भी नहीं पहुंच पा रही।
उनका कहना था कि जल्द ही उत्तर भारत में अकादमी भी खोलने की योजना है। साथ ही कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।
ये भी बोले….
मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में सोहित का ये भी कहना था कि वोटिग को लेकर पब्लिक में गलतफहमी रहती है।
ऑनलाइन वोटिंग में वही विजेता बनता है, जो असल में इसका पात्र होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के टीवी ब्रांड या प्रोडक्शन से जुड़ी कोई भी कंपनी नहीं चाहेगी कि उनकी मामूली सी चूक से साख पर असर पडे़।
गौरतलब है कि सोहित को टैलेंट स्क्रीनिंग, कास्टिंग फॉर टीवी रियलिटी शोज, ऑडिशन मैनेजमेंट व इवेंट प्रोडक्शन में करीब 13 साल का तजुर्बा हो चुका है।
ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं कि प्रतिभा को देखकर इस बात का मूल्यांकन कर लेते हैं कि टैलेंट किस लेवल तक पहुंचेगा।
यह बड़ी चुनौती
टैलेंट हेड पर बड़ी चुनौती होती है। दअरसल,यह तय करना होता है कि कौन सी प्रतिभा को देश पलकों पर रखेगा।
ऑडिशन में लाखों प्रतिभाशाली युवाओं व बच्चों में से चुनिंदा का चयन टेढ़ी खीर साबित होता है। हालांकि चैनल में अलग-अलग टीम अपनी जिम्मेदारी को निभाती है,लेकिन सबसे मुश्किल कार्य टैलेंट सर्च का होता है।