नैना देवी- सुभाष चंदेल
सच ही कहा है किसी की जान बचाने में भगवान के बाद जो दूसरा नाम आता है उसे डाक्टर की संज्ञा दी गई है। फिर वह डाक्टर चाहे मानव चिकित्सक हो अथवा पशु चिकित्सक, जो मुश्किल घड़ी में काम आते हैं। उन्हें भगवान के दूसरा रूप मैं देखा जाता है।
जी हम आज बात कर रहे हैं जिला बिलासपुर उपमंडल स्वारघाट के अंतर्गत पंजाब सीमा से सटे शक्ति गोविंद गौशाला लहरी बरोटा की। जहां पर एक गौशाला की एक गाय पिछले कई दिन से अफारे का शिकार हो रही थी। हर संभव चिकित्सा करने के बाद भी उसे किसी भी प्रकार का आराम न होते देख ऊना के लल्लड़ी नामक पशु हस्पताल में ले जाने का निर्णय किया।
वहां उपस्थित पशु शल्य चिकित्सक डा मनोज शर्मा जिनका गृह ज़िला बिलासपुर ही है। आवश्यक जांच करने के बाद गोमाता के पेट का आप्रेशन करने का निर्णय लिया। लगभग तीन घंटे तक चले आप्रेशन में जिसमें गाय के पेट में एक बड़ा चीरा लगाकर और उसमें पूरा बाजू डाल कर उसके आमाशय की सफाई की गई।
हैरानी तो तब हुई जब पेट में से प्लास्टिक और रस्सियों इत्यादि के गुच्छे निकलने लगे। इस कार्य में उनकी पूरी टीम ने जिसमें डा अनूप का भी पूर्ण सहयोग मिला। आप्रेशन के बाद गोमाता को वापिस गौशाला लाकर उसको आवश्यक उपचार दिया जा रहा है। और गाय के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।
गौशाला के संचालक कमल देव कौशल ने डा मनोज और उनकी समस्त टीम का इस सहयोग के लिये आभार प्रकट किया है। और समस्त आम लोगों से भी निवेदन किया है कि वह प्लास्टिक प्रयोग करते समय उसको सही जगह पर फैंकें। ऐसा न हो कि उनकी लापरवाही का दंश किसी मूक प्राणी को झेलना पढ़े।