वर्ष 2014 से पेंशन के लिए भटक रही थी पूर्व सैनिक की विधवा पत्नी शास्त्री देवी
ज्वाली- अनिल छांगू
जनप्रतिनिधि वो होता है जो लोगों की खुशी के लिए कुछ भी कर जाता है और लोगों की खुशी में ही खुशी महसूस करता है। ऐसा ही जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायत पलौहड़ा के प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया हैं जोकि जनता की सेवा में हर पल हाजिर होते हैं।
ग्राम पंचायत पलौहड़ा निवासी शास्त्री देवी पत्नी स्व रतन चंद को वर्ष 2014 के बाद की पेंशन पंचायत प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर खुद के दम पर बहाल करवाई है। शास्त्री देवी ने बताया कि उसका पति स्व रतन चंद बंगाल इंजीनियरिंग आर्मी में बतौर सिपाही कार्यरत रहे और सेवानिवृत होने के बाद दोबारा डीएससी में भर्ती हो गए।
सेवानिवृत होने उपरांत रतन चंद को दोनों ही पेंशन मिलती थीं लेकिन 5 जनवरी 2014 को शास्त्री देवी के पति की मौत हो गई। उसके बाद डीएससी की पेंशन तो पत्नी शास्त्री देवी को लग गई परन्तु बंगाल इंजीनियरिंग आर्मी की पेंशन नहीं लगी। पूर्व सैनिक की पत्नी शास्त्री देवी कभी आर्मी रिकॉर्ड आफिस रुड़की गई, तो कभी डीपीडीओ धर्मशाला के चक्कर लगाए।
सैनिक कल्याण बोर्ड को भी अपनी गुहार लगाई लेकिन कोई भी मसला हल न हुआ। थक-हार चुकी पूर्व सैनिक की विधवा शास्त्री देवी ने पेंशन मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी। बाद में शास्त्री देवी ने अपनी व्यथा पंचायत प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया को सुनाई तो रघुवीर सिंह भाटिया ने भरोसा दिलाया कि वो उन्हें पेंशन लगवाकर ही दम लेंगे।
रघुवीर सिंह खुद भारतीय स्टेट बैंक से उच्च पद से रिटायर हुए हैं। रघुवीर सिंह भाटिया ने बीपीडीओ कार्यालय धर्मशाला में स्वयं जाकर इस मसले को उठाया। बाद में सारी जानकारी मिलने के बाद जो भी ओपचारिकताएं थीं, उनको अपनी जेब से पैसा खर्च कर पूरा किया और आखिरकार पूर्व सैनिक की विधवा शास्त्री देवी की पेंशन बहाल करवा दी। शास्त्री देवी को वर्ष 2014 से लेकर आजतक का पेंशन का सारा पैसा भी इकट्ठा ही मिल गया।
शास्त्री देवी ने पंचायत प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया का आभार जताया है तथा कहा कि पंचायत प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया ने खुद ही सारी औपचारिकताएं पूरी करवाकर मेरी पेंशन बहाल करवाई है जिसके लिए मैं उनकी आभारी रहूंगी। उन्होंने कहा कि मैंने तो कार्यालयों के चक्कर काटकर अब पेंशन की उम्मीद ही त्याग दी थी लेकिन प्रधान के प्रयास से मुझे पेंशन मिल गई है।
पंचायत प्रधान रघुवीर सिंह भाटिया ने कहा कि मुझे शास्त्री देवी ने जब अपनी व्यथा सुनाई थी तो मैंने उसी समय ठान लिया था कि उनकी पेंशन को शुरू करवाकर ही दम लूंगा। थोड़ा प्रयास करना पड़ा लेकिन पेंशन लग गई। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत सकून मिला है। उन्होंने कहा कि सदा ही जनता की सेवा में हाजिर हूं और हाजिर रहूंगा।