न्यूनतम बस किराए को दोगुना करने के फैसले को वापस ले सरकार

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मंडी – अजय सूर्या

हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम बस किराए को 5 रूपये से बढ़ाकर 10 रूपये करने के प्रदेश सरकार के फैसले को सीपीआई (एम) की मंडी जिला कमेटी ने जनविरोधी करार दिया है। सीपीआई(एम) के मंडी जिला सचिव कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में रेल सुविधा के अभाव में बस सेवा ही आवागमन का एक मात्र साधन है। ऐसे में न्यूनतम बस किराए को डबल करके प्रत्यक्ष तौर पर प्रदेश की आम जनता पर आर्थिक बोझ लादा गया है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही भारी भरकम किराया वसूल किया जा रहा है और अब न्यूनतम बस किराए को डबल करने से गरीब व मध्यम वर्ग पर भारी बोझ पड़ेगा। इससे पहले प्रदेश सरकार ने स्कूल बसों के किराए में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। अब न्यूनतम किराया बढ़ाने से मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान, कर्मचारी तथा बेरोजगार युवाओं पर इसकी मार पड़ेगी। उन्होंने राज्य सरकार से इस बस किराया वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग की है।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश सरकार किराया बढ़ाने के इस फैसले को प्रदेश के वित्तीय संकट व एचआरटीसी को घाटे से उबारने के साथ जोड़ रही है लेकिन असल में प्रदेश में पिछले कई वर्षों से नव उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू करते हुए राज्य के परिवहन क्षेत्र में भी निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान प्रदेश सरकार सहित प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा की सभी सरकारों ने जनता की सुविधाएं छीनने, सेवाओं को महंगा करने व उनके निजीकरण को बढ़ावा दे कर जनता पर बोझ डालने का ही काम किया है। प्रदेश में जो लाभकारी रूट हैं वे निजी बस ऑपरेटरों को सौंपे गए हैं और अभी भी सौंपे जा रहे हैं , जबकि एच.आर.टी.सी. की ज्यादातर बसें घाटे वाले रूट पर चल रही हैं।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में रेलवे के अभाव में सरकारी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत थी, लेकिन हालत यह है कि एच.आर.टी.सी के पास मात्र 2573 रूट और 3150 बसें ही रह गई हैं, जबकि निजी बस ऑपरेटरों की 8300 से ज्यादा बसें चल रही हैं। इससे ही पता चलता है कि प्रदेश में सरकारों किस तरह से एच.आर.टी.सी को डूबोने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि एचआरटीसी को कमजोर कर इसे नुकसान झेलने के लिए मजबूर किया गया है, जबकि निजी कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं। यह बस किराया वृद्धि एक अलग घटना नहीं है, बल्कि यह निजी हितों के पक्ष में सार्वजनिक परिवहन के सरकार के व्यवस्थित विघटन का प्रत्यक्ष परिणाम है।

निजी ऑपरेटरों को लाभदायक मार्गों को सौंपकर, वे एक ऐसी स्थिति बना रहे हैं जहां सार्वजनिक क्षेत्र को जानबूझकर कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम अन्य निजीकरण पहलों के साथ, सस्ती और सुलभ परिवहन के अधिकार पर एक हमले का प्रतिनिधित्व करता है। कुशाल भारद्वाज ने कहा की सरकार तुरंत न्यूनतम बस किराया बढ़ोतरी के फैसले को बापिस ले अन्यथा माकपा जनता को लामबंद कर सभी जगह विरोध प्रदर्शन करेगी।

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