कुल्लू,आदित्य
भांग का बीज अब चरस उत्पादन का जरिया और नशा नहीं रहेगा बल्कि यह फूड आइटम बन जाएगा। भारत सरकार के स्टार्टअप कार्यक्रम के तहत प्रमाणित शर्व हैंप इंडस वैंचर्स संस्था इस पर कार्य कर रही है और संस्था के अनुसार इसे फूड आइटम के रूप में मान्यता मिलने में अभी कुछ महीनों का समय लग सकता है। फूड सिक्योरिटी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने भांग के बीच से प्रसंस्कृत उत्पादों को मान्यता देने की हामी भरी है। भांग के बीज को जल्द खाद्य वस्तुओं में शामिल किया जा सकेगा।
हिमाचल प्रदेश द्वारा भांग बीज के उत्पादों की ब्रांडिंग और बिक्री की जा सकेगी। संस्था का सहकारिता मॉडल प्रारंभिक चरण में ही हिमाचल प्रदेश के 5,000 पहाड़ी परिवारों को रोजगार दे सकता है। संस्था के प्रबंध निदेशक सचिन अवस्थी ने कहा कि शर्व हैंप इंडस वैंचर्स प्राइवेट लिमिटेड भांग उत्पादन एवं प्रसंस्करण के क्षेत्र में भारत सरकार के डीपीआईआईटी विभाग से प्रमाणित स्टार्टअप है। यह स्टार्टअप भांग के उत्थान में कार्यरत है।
इससे उत्तराखंड और हिमाचल के किसानों और समाज की आॢथक स्थिति सुधरेगी और सरकार को भी राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि भांग बीज के उत्पादों के लिए सरकार ने जीएसटी कोड निर्धारित किया है। न इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कोड और न ही एफएसएसएआई इसको अभी तक फूड आइटम मानता था। अवस्थी ने बताया कि जीएसटी और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कोड की लड़ाई अभी जारी है लेकिन एफएसएसएआई की लड़ाई अब यह स्टार्टअप जीत चुका है।
शर्व हैंप इंडस वैंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रयास के बाद एफएसएसएआई ने भांग बीज से प्रसंस्कृत उत्पादों को न सिर्फ पहचाना है बल्कि एफएसएसएआई अब भांग बीज उत्पादों की ब्रांङ्क्षडग करने के लिए भी अनुमति देने को तैयार है। अब हिमाचल प्रदेश का कोई भी व्यक्ति भांग बीज के उत्पादों की ब्रांङ्क्षडग व बिक्री कर सकेगा। अवस्थी ने कहा कि एफएसएसएआई के इस निर्णय से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई गति आएगी।
सचिन अवस्थी ने कहा कि हिमाचल से संदीपनी भारद्वाज भी इस लड़ाई में उनसे जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से भी अनुशंसा की मांग की गई है और सरकार ने नीति बनाने की अनुशंसा की है। शर्व हैंप ने भांग उत्पादन का एक सहकारिता मॉडल तैयार किया है। अनुमति मिलते ही 5,000 परिवारों को रोजगार मिल सकेगा।
इससे पहले भी चुनावी बेला पर हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती की अनुमति का मसला गूंजता रहा है। बरोट व कुल्लू में भांग की खेती को लीगलाइज करने के लिए कई बार सरकार की ओर से आश्वासन मिले। भांग के बीज, इसके तेल से बनने वाली औषधियां, इसके पौधे से बनने वाले बैग, जूते व रस्सियों सहित इससे बनने वाले हजारों उत्पादों को लेकर कुल्लू में पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भी पत्रकार वार्ता में पूर्व में इसके गुण गिनाए थे।
अब उक्त संस्था भांग के बीज को फूड आइटम में शामिल करवाने के लिए लड़ाई लड़ रही है। देखना यह होगा कि क्या उक्त संस्था इस लड़ाई को जीतने में कामयाब होती है या नहीं। संस्था के अनुसार भांग के बीज और पौधों से 25,000 के करीब उपयोगी उत्पाद तैयार होते हैं।
उधर, एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने कहा कि उन्हें इस तरह की प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं है। इसलिए इस पर कोई कमैंट नहीं करेंगे।