प्रारम्भिक हस्तक्षेप केंद्र कुल्लू में दिव्यांग बच्चों के लिए वरदान बन रही थेरेपी सेवाएँ
कुल्लू – अजय सूर्या
क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू के जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) में दिव्यांग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए दी जाने बाली थेरेपी सेवाएँ बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है,जहाँ 0- 8 बर्ष के शारीरिक, मानसिक, भौतिक एवं सामाजिक रूप से कमजोर बच्चों को विभिन्न तरह की थेरेपी सेवाएँ दी जा रही है।
डॉ. रेखा ठाकुर प्रभारी-जिला प्रारम्भिक हस्तक्षेप केंद्र कुल्लू ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रारम्भिक हस्तक्षेप केंद्र राष्ट्रिय स्वास्थ्य मिशन की एक योजना है जिसके अंतर्गत जिला कुल्लू के क्षेत्रीय अस्पताल मे जिला प्रारम्भिक हस्तक्षेप केंद्र चलाया जा रहा है जो कि संफिया फ़ाउंडेशन एवं क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू का सांझा प्रयास है।
उन्होने बताया कि वर्तमान मे लगभग 76 बच्चे जिला प्रारम्भिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी), कुल्लू मे थेरेपी के लिए पंजीकृत हुये हैं ओर लगभग 25 से 26 बच्चे विभिन्न तरह की थेरेपी सेवाओं जैसे फिजियोथैरेपी, ऑक्यूपेशनलथेरेपी, स्पीच थेरेपी , स्पेशल एडुकेशन तथा काउन्सेलिंग सेवाओं से रोजाना लाभान्वित हो रहे है। उन्होने बताया कि न सिर्फ कुल्लू से बल्कि अन्य जिला से भी अभिभावक थेरेपी के लिए बच्चों को जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र कुल्लू में ले कर आ रहे है।
मेरे बच्चे में आ रहा सुधार – अल्का
मैं अपनी बच्ची को जब वह 9 महीने कि थी तब से केंद्र मे लेकर आ रही हूँ। तब से मुझे अपनी बच्ची मे बहुत सुधार देखने को मिला है। मैं थेरेपी की गुणवत्ता से खुश हूँ। डीईआईसी हमारे बच्चों के लिए एक वरदान की तरह है। जिसमे हमारे बच्चों को सारी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिल रही है।
कार्यक्र्म प्रबन्धक सांफिया फ़ाउंडेशन बीजू के बोल
बीजू कार्यक्र्म प्रबन्धक सांफिया फ़ाउंडेशन ने बताया कि केंद्र का एक मात्र उद्देश्य दिवयांग बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का लाभ पहुंचाना है। जिसके लिए समय – समय पर दिवयांगता पर आधारित कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाता है। उन्होने आम जनों से अपील की है कि आम जनों को इस सेवा का लाभ उठाना चाहिए ताकि सभी तरह के विशेष बच्चो को इसका लाभ हो सके।
बता दें कि डीईआईसी में डीएमआई इंटेर्वेंशेन की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। डीएमआई बॉक्स एक अग्रिम चिकित्सा है। डीएमआई नए नेऊरोनल कनैक्शन की सुविधा के लिए न्यूरोप्लास्टिसिटी को उत्तेजित करता है। इस थेरेपी के माध्यम से विकासात्मक देरी वाले बच्चों के शारीरिक विकास पर काम किया जाता है, ताकि बच्चे का शारीरिक विकास हो जाए।