देश के लिए जो भी शहीद हुआ है उसकी पत्नी को वीरांगना का दर्जा दिया गया है ना कि विधवा का।
कोटला- स्वयंम
वर्ष 2002 में आसाम में शहीद हुए राइफलमैन जनरल ड्यूटी भीम सेन की विधवा अपने पुत्र की नौकरी के लिए दरवधर भटक रही है। भीम सेन सपुत्र पियूंदी राम निवासी कोटला 6 जुलाई 1992 को असम रायफल्स में भर्ती हुए थे और 10 जुलाई 2002 को उन्होंने राष्ट्र के नाम अपना जीवन उस समय कर दिया जब उनकी तैनाती 33 असम राइफल्स, काकचिंग मणिपुर में थी.
15 अगस्त 2003 को भीम सेन को मरणोपरांत सेना मैडल से सम्मानित किया गया। शहीद भीम सेन की पत्नी रेखा देवी के दो बच्चे हैं, आशीष शर्मा एवं शिल्पा। आशीष शर्मा ने पम्प ऑपरेटर की आईटीआई की हुई है।
8 जून 2018 को उसका आकस्मिक एक्सीडेंट हो गया, जिससे उसकी ईश्वर की कृपा से जान तो बच गई, लगभग एक वर्ष तक वह अस्पताल में दाखिल रहा, लेकिन वह 60 प्रतिशत अपंग हो गया, जबकि 12 जून 2010 को उसे सेना की ओर से भर्ती का ऑफर आया था। इस हालत में आशीष शर्मा सेना में भर्ती नहीं हो सकता।
8 अगस्त 2020 को रेखा देवी धर्मशाला में अपने पुत्र के लिए किसी भी प्रकार की नौकरी के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिली। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके अलावा वह कई अधिकारियों स्थानीय विधायक से भी अपने पुत्र की नौकरी की फरियाद लगा चुकी है, लेकिन कोई भी असर नहीं हुआ है।
मणिपुर में 10 जुलाई 2021 को शहीद भीमसेन की याद में चौक का निर्माण कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, शहीद की विधवा को इस बात का रंज है कि देश के सूदूर मणिपुर में तो शहीद भीमसैन की याद का स्मारक बनाया गया है, जबकि हिमाचल में शहीद के नाम पर कोई भी स्मारक का निर्माण तो दूर उसकी बात तक न सुनी जा रही है।