धर्मशाला-राजीव जस्वाल
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने राज्य में इसी वर्ष से प्राइमरी स्कूलों में तीसरी कक्षा से संस्कृत और छठी कक्षा से वैदिक गणित विषय शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रारंभिक तौर पर शिक्षा बोर्ड तीसरी कक्षा की ही पाठयपुस्तकें तैयार करने का निर्णय लिया है। वहीं वैदिक गणित की बात करें तो शिक्षा बोर्ड फस्र्ट व सेकेंट टर्म एग्जाम में 3-3 प्रश्न यानी 6 फीसदी प्रश्न पूछेगा। इसके लिए शिक्षा बोर्ड ने प्रपोजल तैयार कर ली है, जिस पर अंतिम निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा।
स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. सुरेश कुमार सोनी ने प्रेसवार्ता में कहा कि संस्कृत को प्रदेश में दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। तीसरी कक्षा से प्रदेश में संस्कृत भाषा को शुरू करने के लिए बोर्ड ने एक्सपर्ट बुलाए थे, क्योंकि इसके लिए पाठयपुस्तकें भी तैयार की जानी हैं। बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि तीसरी व चौथी कक्षा की संस्कृत की परीक्षा मौखिक होगी, जबकि पांचवीं में लिखित परीक्षा ली जाएगी।
शिक्षा बोर्ड ने तीसरी कक्षा की संस्कृत की पाठयपुस्तकें तैयार करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर बोर्ड की ओर से प्रपोजल तैयार की गई है, जिसे स्वीकृति हेतू सरकार के समक्ष रखा जाएगा, जिससे इसी वर्ष इस विषय को प्रदेश में शुरू किया जा सके।
बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि वैदिक गणित भी छठी से दसवीं तक शुरू किया जाएगा, इसमें 10 सूत्र शामिल किए जाएंगे, वहीं 6 अन्य सूत्रों को 11वीं व 12वीं में शामिल किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रयास रहेगा कि 6वीं से 10वीं तक वैदिक गणित के 1 या दो चेप्टर शामिल किए जाएं। जिसके आधार पर बोर्ड की टर्म-1 व टर्म-2 की परीक्षा में 3-3 प्रश्न पूछे जाएंगे यानी 6 फीसदी प्रश्न वैदिक गणित से शामिल किए जाएंगे।
दोनों ही टर्म में 3-3 नंबर के प्रश्न वैदिक गणित बारे शामिल किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में भी वैदिक गणित को लागू किया गया है। वहीं प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने भी इसके लिए प्रपोजल तैयार कर ली है, जिसे सरकार के समक्ष पेश किया जाना है।