डीजल का झंझट खत्म; किसानों के लिए वरदान बनकर आया ई-ट्रैक्टर, महिलाएं भी कर सकेंगी ड्राइविंग!

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छोटे किसानों के लिए ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर लॉन्च, ई-ट्रैक्टर चलाने में महिलाओं को कोई समस्या नहीं, चार घंटे चलाने में सिर्फ 140 रुपए का खर्च।

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पालमपुर – बर्फू

आप देश में प्रदेश के छोटे सीमांत किसानों के लिए किसानी करना ओर अधिक सरल होने वाला है। अब किसानों को खेतों की जुताई की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। किसानों के लिए सीएसआईआर संस्थान ने देश का पहला ई-ट्रैक्टर तैयार किया है।

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट, दुर्गापुर द्वारा विकसित ई-ट्रैक्टर सीएसआईआर-प्राइमा और ई-टिलर प्रदेश में पहली बार किसानों के सामने लाया गया।

हिमाचल की बात की जाए तो यहां 80 फीसदी किसान छोटे व सीमांत हैं। यह ट्रैक्टर उनके लिए कई तरह से लाभ पहुंचेगा वहीं, ट्रैक्टर का डिजाइन इस तरीके से किया गया है, ताकि महिलाएं भी आसानी से इसे चला सकें।

महिलाएं भी आसानी से चला सकती हैं यह ई-ट्रैक्टर

इस ई-ट्रैक्टर को इस तरह से बनाया गया कि महिला किसानों को इसे चलाने में कोई समस्या न आए.गियर व स्टेरिंग में ऐसे प्रावधान हैं, जिससे इसे चलाने में महिलाओं को कोई दिक्कत न हो।

ई- ट्रैक्टर और ई-टिलर रोड शो में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे कृषि विवि के कुलपति डा. नवीन कुमार, विशिष्ट अतिथि डा. कुलदीप सिंह धीमान, उपनिदेशक, कृषि, सीएसआईआर/ सीएमईआरआई के निदेशक डा. नरेश चंद्र मुर्मू, सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव सहित 150 से अधिक किसान उपस्थित थे। उन्होंने न केवल ट्रैक्टर और टिलर का प्रदर्शन देखा, बल्कि इन मशीनों को चलाने का प्रत्यक्ष अनुभव भी प्राप्त किया।

किसानों को मिलेगा यह लाभ

जानकारी के अनुसार एक बार चार्ज के बाद यह ई-ट्रैक्टर साढ़े चार घंटे खेत की जुताई कर सकता है। वहीं, सडक़ पर पर डेढ़ टन भार को छह घंटे तक खींचने की क्षमता रखता है। इस क्षमता के डीजल ट्रैक्टर को चलाने में अढ़ाई लीटर प्रति घंटा डीजल लगता है, जबकि इस ट्रैक्टर को चार घंटे चलाने में सिर्फ 140 रुपए का खर्चा आता है।

इस तरह ई-ट्रैक्टर से चार साल में खर्चे में 67 फीसदी की कटौती की जा सकती है। वहीं, इलेक्ट्रिकल ड्राइव्स होने से रखरखाव का खर्चा भी बेहद कम रहने की बात की जा रही है।

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