जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए आवश्यकता गुरु की- साध्वी गरिमा भारती

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शाहपुर – नितिश पठानियां

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से अभिनंदन पैलेस, शाहपुर, कागड़ा में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन चल रहा है। कथा के द्वितीय दिवस में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री गरिमा भारती जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिसे किसी एक परिभाषा में चित्रित ही नहीं किया जा सकता।

कहीं ये चितचोर मुरलीधर हैं, तो कहीं दुष्टदलन चक्रधर कहीं रसिकबिहारी रागी हैं, तो कहीं परम वीतरागी ! कहीं ऐश्वरयुक्त द्वारिकाधीश हैं, तो कहीं योग के दीक्षादायक महायोगेश्वर। ये ही तो हैं जिन्होंने संसार में एक ओर तो गोप गोपिकाओं के माध्यम से भक्ति विरह की सरस धारा प्रवाहित की, वहीं दूसरी और समस्त उपनिषदों को दुहकर गीता रूपी दुग्धामृत अर्जुन के निमित से सम्पूर्ण मानव जाति को दिया।

समाज की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य का अंतःकरण अंधकारमय है।यही कारण है कि हमारे ऋषि मुनियों ने उस परम तत्व के समक्ष से प्रार्थना की है हे प्रभु! हमारे भीतर के अंधकार को दूर कीजिए ताकि ज्ञान प्रकाश को पाकर हम अपने जीवन को सुन्दर बना सके।

जिस प्रकार बाहर के प्रकाश से बाह्य अंधकार दूर होता है उसी प्रकार आंतरिक ज्ञान प्रकाश से आंतरिक अज्ञान तमस नष्ट होता है। ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरु की शरण में जाकर ही होगी, जो मानव के भीतर उस ईश्वरीय प्रकाश को प्रकट कर देते हैं। यही कारण हैं कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया तो इसकी प्राप्ति हेतु गुरु के सानिध्य में जाने का उपदेश दिया।

प्रभु की कथा ने कितने ही जीवों के जीवन को निर्मल किया है। यदि मानव भगवान श्री कृष्ण के चरित्र से प्राप्त शिक्षा व संदेश को जीवन में धारण करले तो निःसंदेह एक आदर्श मानव का निर्माण होगा। जब एक आदर्श मानव का निर्माण होगा तब एक आदर्श परिवार का गठन होगा।

यदि एक आदर्श परिवार का गठन होगा तो एक आदर्श समाज, आदर्श राष्ट्र अंततोगत्वा एक आदर्श विश्व स्थापित होगा। परन्तु विडम्बना का विषय है कि आज कितनी ही प्रभु की गाथाएं गाई जा रही है पर समाज की दशा इतनी दयनीय है। मात्र केवल प्रभु की कथा को कह देना या सुन लेना ही पर्याप्त नहीं है। प्रभु श्री कृष्ण के चरित्र से शिक्षा ग्रहण कर उसका जीवन में अनुसरण करना होगा।

कथा में गणमान्य अतिथि श्री अशोक जी, श्री राकेश कटोच जी, श्री सुनील वर्मा जी, श्री बीपी शर्मा जी, श्री कमल शर्मा जी, श्री जोगिंदर पाल महाजन जी, श्री विजय लगवाल जी, श्री बादल कौशल जी ने ज्योति प्रज्वलन किया।

अंत में साध्वी सर्व सुखी भारती जी, हीना भारती जी, परा भारती जी एवं साध्वी शीतल भारती जी, महात्मा गुरुबाज़ महात्मा सतनाम जी ने कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती के साथ किया।

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