जानिए क्यों हाटकोटी मंदिर को कहा जाता है 5 भाइयों के खिलौनों का घर

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हिमखबर डेस्क 

आज चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है आज माता महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन सिंह व बैल है।

ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।

यही महागौरी देवताओं की प्रार्थना पर हिमालय की श्रृंखला में शाकंभरी के नाम से प्रकट हुई थी। अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं और इसे कन्या पूजन का भी विशेष दिन माना जाता है।

तो आइए महागौरी का नाम लेकर हम आपको माता हाटकोटी मंदिर की ओर ले चले।

जानिए क्या है हाटकोटी मंदिर का इतिहास

हाटकोटी मंदिर शिमला से करीब 130 किलोमीटर और रोहड़ू से 14 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण वीर प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर पाषाण शैली में बना है। इस मंदिर में 1.2 ऊंची हाटेश्वरी माता की मूर्ति है।

हाटेश्वरी मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। इससे पहले भी यहां मंदिर के अवशेष मिले थे। हाटकोटी गांव 5 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

आज भी गांव में कई जगहों पर मंदिर हैं, जिसकी नक्काशी और वास्तुकला 6वीं से 9वीं शताब्दी के बीच की है। मंदिर के चारों तरफ लकड़ी और पत्थर की दीवार बनाई गई है।

बताया जाता है कि माता का दाहिना पैर भूमिगत है। माता के एक हाथ में चक्र और बाएं हाथों में से एक में रक्तबीज है। गर्भगृह की मूर्ति के दोनों तरफ 7वीं और 8वीं शताब्दी के अघोषित अभिलेख हैं। सिंहासन के पीछे आर्च पर नवदुर्गा हैं, जिसके नीचे वीणाधारी शिव और इंद्र की अगुवाई में दूसरे भगवान हैं।

इसके अलावा गर्भगृह में देवी के बगल में परशुराम का एक तांबे का कलश रखा गया है। सिंहासन के बाई और दाई तरफ गंगा और यमुना को चित्रित किया गया है। इस मंदिर में देवी की एक पत्थर की मूर्ति को वज्र धारण करते हुए दिखाया गया है।

मूर्ति के होठों पर तांबा और नेत्रों पर चांदी जड़ी हुई है। इस मंदिर में एक शिवलिंग है, जिसके चारों तरफ शिव मंदिर है। इसकी छत पर देवी-देवताओं की मूर्ति उकेरी गई है।

पांडवों से जुड़ा है हाटेश्वरी मंदिर

इस मंदिर की कहानी महाभारत काल के पांडवों से जुड़ी है। हाटेश्वरी माता मंदिर परिसर में 5 छोटे मंदिर हैं। इन छोटे मंदिरों में शिव की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं।

स्थानीय लोगों का मानना है कि इन मंदिरों को पांडवों ने बनाया था। इसे पांडवों का खिलौना या 5 पांडव भाइयों के खिलौनों का घर कहते हैं।

इन मंदिरों के बाहर गरुड़ पर विष्णु और लक्ष्मी, दुर्गा और गणेश की प्रतिमाएं बनी हुई हैं। बता दें कि बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने भी अपने जुड़वां बच्चों का शिमला के दुर्गा माता मंदिर हाटकोटी में मुंडन कराया है।

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