जहां की दसवीं तक पढ़ाई, प्रिंसिपल बन पलटी स्कूल की काया

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सिरमौर – नरेश कुमार राधे 

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के सैनधार क्षेत्र की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बेचड़ का बाग के प्रधानाचार्य चिंतामणि शर्मा समाज में एक मिसाल बनकर उभरे हैं।

1983 में इसी स्कूल से दसवीं की शिक्षा हासिल की। नौकरी मिलने के शुरुआती दौर में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।

बसाहं स्कूल में नौकरी के दौरान पिता पर 35 हजार का कर्ज था। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी भी थी।

इन तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद नौकरी से होने वाली कमाई को स्कूल के भवन की काया पलटने के लिए खर्च करना शुरू कर दिया।

बेचड़़ का बाग से पहले नहरस्वार स्कूल में हैड मास्टर के तौर पर तैनाती मिली। विकास में जन सहयोग के तहत अकेले ही डेढ़ लाख रुपए का योगदान दिया।

इससे स्कूल को सरकार की हिस्सेदारी मिल गई। लगभग 6 लाख का बजट स्कूल के ग्राउंड व गेट इत्यादि के अलावा अन्य कार्यों पर खर्च किया गया।

मूलतः कोटला मोलर पंचायत के नारनोटी के रहने वाले चिंतामणि शर्मा की पत्नी आशा शर्मा भी हर वक्त उनकी मदद के लिए तैयार रहती है। नहरस्वार से प्रमोट होकर बेचड़ का बाग में प्रिंसिपल बन गए।

इस स्कूल में टीजीटी रहने के दौरान लगभग डेढ़ की राशि से स्कूल की वाटिका को मनमोहक तो बनाया ही, साथ ही कई अन्य कार्यों को भी अंजाम दिया।

अब प्रिंसिपल बनकर लौटने पर पाया कि स्कूल के शौचालयों की हालत बेहद ही खस्ता है। इसकी मरम्मत पर लगभग 60 हजार रुपए खर्च कर चुके हैं। ये राशि बढ़ भी सकती है।

इसके अलावा एक लाख रुपए का जीपीएफ भी अप्लाई किया हुआ है, ताकि इस राशि से विकास में जन सहयोग के तहत अधिक बजट हासिल किया जा सके।

यकीन मानिए, निजी तौर पर लाखों रुपए तो खर्च कर ही रहे हैं, साथ ही स्कूल से छुट्टी होने के बाद भी रात 8 बजे तक ही घर पहुंचते हैं, क्योंकि स्कूल में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा भी करनी होती है।

ऐसी सोच वाले व्यक्ति के बच्चे भी काबिल होते हैं। वो बात चिंतामणि पर बिलकुल सटीक साबित होती है, जिसमें कहा गया है कि ‘माता-पिता के अच्छे-बुरे कर्मों का असर बच्चों पर पड़ता है’।

होनहार बेटी अंबिका शर्मा इस समय बिजली बोर्ड में एक्सईएन के पद पर तैनात है, जबकि बेटा अमित शर्मा एक कामयाब इंजीनियर है। छोटी बेटी मोनिका पढ़ाई कर रही है।

मिडिया में प्रधानाचार्य चिंतामणि शर्मा ने बताया कि 5 अगस्त 2021 को एसएमसी की आम सभा में स्कूल के कार्यों को लेकर कार्य योजना तैयार की गई। इसी दिन टांग में मल्टी फ्रैक्चर हो गए। बावजूद इसके वो निरंतर ही कार्य में लगे रहे।

उनका कहना है कि स्कूल के स्टाफ का भरसक सहयोग मिल रहा है। इस कारण वो कुछ कर पाने में सफल हो रहे हैं।

उनका कहना है कि रिटायरमेंट को 3-4 साल रह गए हैं। इससे पहले वो विद्यालय को समूचे हिमाचल में शिखर पर देखना चाहते हैं। पंचायत प्रधान अनिल ठाकुर भी पाठशाला को आदर्श विद्यालय बनाने के प्रयासरत हैं।

एसएमसी के अध्यक्ष प्रीतम अत्री, उप प्रधानाचार्य ओपी पुंडीर, अधीक्षक जयपाल चौहान, समाजसेवी अर्जुन अत्री व हिम्मत अत्री के अलावा स्टाफ में शामिल सुरेंद्र मोहन, कुलदीप ठाकुर, मनोज शर्मा, जय प्रकाश, राजीव कुमार, रणदीप सिंह, संतोष शर्मा, सुनीता कुमारी व वीरेंद्र शर्मा भी विद्यालय को शिखर पर ले जाने के लिए प्रधानाचार्य चिंतामणि के साथ कंधे से कंधा मिला रहे हैं।

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